कोरोना महामारी से अमेरिका जैसा दुनिया का सबसे ताकतवर देश भी नहीं बच पाया है। अमेरिका में हर दिन संक्रमितों की संख्या बढ़ रही और मौत का आंकड़ा भी बढ़ रहा है। कोरोना के भयावह हालात का सबसे ज्यादा असर अर्थव्यवस्था पर देखा जा रहा है। अमेरिका में इस महामारी ने केवल 3 सप्ताह में डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोगों की नौकरी छीन ली।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हालांकि भरोसा जताया है कि आने वाले महीनों में अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट आएगी। देश में अब तक करीब 4 लाख 70 हजार लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं और लगभग 17 हजार लोंगों की जान चली गई। महामारी के चलते 33 करोड़ की आबादी वाले अमेरिका में जनजीवन पूरी तरह ठहर गया है। 97 फीसद आबादी घरों में कैद है।
कारोबार ठप पड़ा है। हवाई यातायात में 96 फीसद की कमी दर्ज की गई है। बीते तीन हफ्तों में ही करीब 1.6 करोड़ लोग बेरोजगार हो गए। इस अवधि में 66 लाख अमेरिकियों ने बेरोजगारी लाभ के लिए आवेदन किए हैं। बेरोजगारी के इन आंकड़ों से जाहिर होता है कि दो लाख करोड़ डॉलर (करीब 150 लाख करोड़ रुपये) का राहत पैकेज भी काम नहीं कर रहा।
इन आंकड़ों पर हालांकि राष्ट्रपति ट्रंप ने शुक्रवार को ह्वाइट हाउस में कहा- मुझे लगता है कि अर्थव्यवस्था जल्द ही पटरी पर आ जाएगी। हमारे पास जबरदस्त योजना है। हम वापसी करेंगे।” ट्रंप ने यह भी बताया कि उन्होंने अपने कृषि मंत्री को कोरोना से प्रभावित अमेरिकी किसानों की तत्काल मदद करने का आदेश दिया है।
अस्पताल में भर्ती लोगों की संख्या में कमी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शंस डिजीज के निदेशक और कोरोना वायरस पर ह्वाइट हाउस टास्क फोर्स के सदस्य एंटनी फासी ने कहा – हम मरने वालों की संख्या में इजाफा देख रहे हैं। लेकिन अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या में कमी देखी जा रही है। इससे लगता है कि सब कुछ सही दिशा में चल रहा है।
जज ने कैदियों को रिहा करने से किया इंकार अमेरिका के शिकागो शहर के एक जज ने एक जेल के कैदियों को रिहा किए जाने से इन्कार कर दिया है। शहर की कुक काउंटी जेल में करीब 4500 कैदी हैं। इस जेल के 276 कैदी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इसी के चलते बाकी कैदियों को रिहा करने या दूसरी जगह ले जाने का प्रयास किया गया था।
सांसदों ने नए राहत पैकेट में लगाया अड़ंगा अमेरिकी संसद के ऊपरी सदन सीनेट में विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसदों ने ट्रंप के नए सहायता पैकेज पर अड़ंगा लगा दिया है। उन्होंने छोटे उद्योगों के लिए 250 अरब डॉलर (करीब 19 लाख करोड़ रुपये) के प्रस्ताव पर मुहर लगाने से इन्कार कर दिया। उन्होंने इस प्रस्ताव में सुधार की मांग की है।