चीन ने जाहिर किए नापाक मंसूबे , कहा ताइवान को ‘शांति’ से चीन का हिस्सा बनाएंगे

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इस महीने चीन और ताइवान के बीच काफी ज्यादा तनाव बढ़ा हुआ है और चीन डेढ़ सौ से ज्यादा लड़ाकू जहाजों को ताइवान के हवाई क्षेत्र में भेज चुका है। ऐसा लग रहा था कि कभी भी चीन ताइवान के ऊपर हमला कर सकता है और ताइवान की रक्षा के लिए अमेरिका ने अपने एयरक्राफ्ट कैरियर को भी तैनात कर दिया था। इन सबके बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ताइवान को चीन में फिर से शामिल कराने की बात कही है। हालांकि, इस बार उन्होंने कहा कि, ताइवान को शांति के साथ चीन का हिस्सा बनाया जाएगा।
चीन के राष्ट्रपति ने कहा कि, ‘ताइवान के मुद्दे’ को शांति के साथ सुलझाएंगे। शी जिनपिंग की ये टिप्पणी चीन द्वारा ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में लगातार चार दिनों तक सार्वजनिक बल प्रदर्शन के तहत लड़ाकू विमानों को भेजने के बाद आई है।ताइवान खुद को एक संप्रभु राज्य मानता है, लेकिन चीन स्व-शासित द्वीप को चीन का ही एक अलग प्रांत के रूप में देखता है।
बीजिंग ने ताइवान को चीन से मिलाने के लिए बल प्रयोग की बात से इनकार नहीं किया है।  बीजिंग में ‘ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल’ में बोलते हुए शी जिनपिंग ने कहा कि चीन के पुनर्मिलन में सबसे बड़ी बाधा “ताइवान स्वतंत्रता” बल थी।चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के महासचिव शी जिनपिंग ने कहा कि ताइवान चीनी राष्ट्र की ‘कमजोरी’ और ‘अराजकता’ से उत्पन्न हुआ है और इसे राष्ट्रीय कायाकल्प के रूप में हल किया जाएगा। शी जिनपिंग ने ताइवान को चीन का हिस्सा बनाने की बात पर कहा कि, “यह चीनी इतिहास की सामान्य प्रवृत्ति से निर्धारित होता है, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह सभी चीनी लोगों की सामान्य इच्छा है।”
एक तरफ चीन एक संप्रभु देश को खुद में मिलाने के लिए खुले मंच से घोषणा करता है कि वह ताईवान को चीन में शामिल करने की बात करता है और कोई कुछ भी नहीं कहता। कम से कम चीन के भीतर से तो उसके खिलाफ कोई नहीं उठती। वहीं दूसरी तरफ भारत ने अपने अभिन्न अंग कश्मीर में धारा 370 हटाता है तो देश के अंदर से ही इसके विरोध में विपक्षी पार्टियों के बयान आने लगते हैं। क्या कांग्रेस व अन्य विपक्षी पार्टियां मोदी विरोध में इतनी अंधी हो जाती हैं कि उन्हें किसी व्यक्ति या पार्टी का विरोध और देश के विरोध के बीच अंतर करने की बुद्धि नहीं बचती?
राहुल गांधी, कम्यूनिस्ट और कश्मीर के अलगाववादी नेता कश्मीर में तिरंगा फहराने वाली धारा 370 का ही विरोध करते हैं। शायद यही कारण है कि एक तरफ चीन जबरदस्ती किसी की जमीन पर कब्जा करने की सोच रहा है और दूसरी तरफ भारत पाकिस्तान के कब्जे में जा चुकी अपनी ही जमीन पीओके में अभी तक झंडा नहीं फहरा सका।