महिलाएं अक्सर गर्भ निरोधक दवाइयां खा रहीं हैं, लेकिन इन दवाओं से रहें सावधान गर्भनिरोधक गोलियां ओवुलेशन को रोकने का काम करती हैं। इससे कोई अंडाणु उत्पन्न नहीं होता है। इस दवा का उपयोग संयुक्त राज्य अमेरिका में 15 से 44 वर्ष की लगभग 16 प्रतिशत महिलाओं द्वारा किया जाता है।
इसके फायदे और नुकसान दोनों हैं फायदा ये है कि यह अनियमित मासिक धर्म, दर्दनाक या हेवी पीरियड्स, एंडोमेट्रियोसिस, मुंहासे और प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम को कम करने में भी मदद करती हैं। साथ ही आपको इस्तेमाल करने वाली गर्भनिरोधक दवाओं से होने वाले नुकसान की भी जानकारी होनी चाहिए।
गर्भनिरोधक दवाइयां भी कई प्रकार की होती हैं। इस तरह की सभी दवाओं में हार्मोन एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन या दोनों के सिंथेटिक रूप होते हैं। सिंथेटिक प्रोजेस्टेरोन को प्रोजेस्टिन कहा जाता है। कॉम्बिनेशन पिल्स में प्रोजेस्टिन और एस्ट्रोजन होता है। मोनोफैसिक गोलियों में सभी समान हार्मोन का संतुलन होता है।
इन सभी गोलियों के साथ, हर महीने दो या तीन अलग-अलग प्रकार की गोली ली जाती हैं, प्रत्येक में हार्मोन का एक अलग संतुलन होता है। शुरुआत में दवा लेने पर कुछ लोगों का हल्का जी मिचलाता है लेकिन कुछ दिनों बाद स्थिति में सुधार हो जाता है। दवा को खाने के बाद या सोते समय लें तो ज्यादा उचित होगा। अगर लगातार 3 महीने तक जी मिचलाने की स्थिति बरकरार है तो डॉक्टर से सलाह लें।
गर्भनिरोधक दवा लेने से सिरदर्द बढ़ सकता है या माइग्रेन की शिकायत भी हो सकती है। कुछ स्टडी में ये भी सामने आया है कि इन दवाओं के इस्तेमाल से मूड पर बुरा प्रभाव पड़ता है जिससे अवसाद यानी डिप्रेशन भी हो सकता है। अलग-अलग प्रकार के हार्मोन की डोज होने के कारण लक्षण भी अलग हो सकते हैं। कम डोज वाली दवा के इस्तेमाल से सिरदर्द कम हो सकता है। कई क्लीनिकल शोध में सामने आया है कि गर्भनिरोधक दवाओं के सेवन से वजन भी बढ़ता है। जो आने वाले समय में शरीर को नुकशान दे सकता है।
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