भारतीय सेना ने पूर्व सैनिकों और अन्य लोगों के लिए मोतियाबिंद नेत्र शल्य चिकित्सा शिविर का आयोजन किया

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भारतीय सेना की तरफ से बेंगडुबी सैन्य स्टेशन के 158 बेस अस्पताल में मोतियाबिंद नेत्र शल्य चिकित्सा हेतु विशेष शिविर का आयोजन किया जा रहा है। पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल आरसी तिवारी द्वारा इस शिविर का उद्घाटन 20 मार्च, 2025 को किया गया और इसका उद्देश्य 350 से अधिक भूतपूर्व सैनिकों, उनके आश्रितों तथा कुछ वरिष्ठ नागरिकों के दृष्टिदोष को दूर करना है। राष्ट्रीय अंधत्व एवं दृश्य हानि नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत संचालित यह पहल स्वास्थ्य सेवा और सामुदायिक कल्याण के प्रति भारतीय सेना के समर्पण को प्रदर्शित करती है।

त्रिशक्ति कोर के तहत आयोजित इस पहल में सेवारत तथा सेवानिवृत्त रक्षा कर्मियों और उनके परिवारों की दृष्टि देखभाल आवश्यकताओं को प्राथमिकता दी जाती है। शिविर के उद्घाटन के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल आरसी तिवारी ने चिकित्सा दल की विशेषज्ञता एवं समर्पण की सराहना की और रक्षा कर्मियों, सेवानिवृत्त सैनिकों तथा सामान्य जन समुदाय के कल्याण के प्रति सेना की वचनबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के लिए स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से ऐसी गतिविधियों के अधिक संख्या में आयोजित करने के महत्व पर बल दिया।

देश की सुरक्षा हेतु बैंगडूबी तथा इसके आसपास के क्षेत्र सामरिक महत्व रखते हैं और ये पश्चिम बंगाल, सिक्किम एवं असम व यहां तक ​​कि नेपाल की विशाल आबादी की जरूरतों को भी पूरा करते हैं। लगभग 96,000 पूर्व सैनिकों की आबादी के साथ इस पहल का उद्देश्य अत्याधुनिक नेत्र देखभाल प्रदान करना है और राष्ट्र की सेवा करने वालों के लिए समय पर चिकित्सा हस्तक्षेप सुनिश्चित करना है।

पश्चिम बंगाल के माननीय राज्यपाल सी वी आनंद बोस के अनुरोध पर यह शिविर माननीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी के निर्देशों के तहत आयोजित किया गया। यह इलाके में उच्च गुणवत्ता वाले नेत्र चिकित्सा उपचार का विस्तार करने के लिए राज्य व सैन्य नेतृत्व के बीच सहयोगात्मक प्रयास को दर्शाता है और पूर्वी क्षेत्र में पूर्व सैनिकों के स्वास्थ्य देखभाल के प्रति भारतीय सेना की वचनबद्धता को प्रदर्शित करता है।

ब्रिगेडियर संजय मिश्रा चिकित्सा दल का नेतृत्व कर रहे हैं, जो एक प्रतिष्ठित नेत्र शल्य चिकित्सक और आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रेफरल, नई दिल्ली में नेत्र रोग विभाग के प्रमुख हैं। इस दल में आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च और रेफरल विशेषज्ञ, बेस हॉस्पिटल दिल्ली कैंट और कमांड हॉस्पिटल लखनऊ शामिल हैं, जिनका लक्ष्य तीन दिनों में 300 से 350 सर्जरी करना है। मरीजों को अत्याधुनिक उपकरणों और उच्च गुणवत्ता वाले लेंसों के साथ सर्वोत्तम नेत्र देखभाल का आश्वासन दिया जाता है।

इस पहल से लाभान्वित होने वाले कई पूर्व सैनिकों में से एक सूबेदार (सेवानिवृत्त) रमेश थापा भी हैं, जिन्होंने सेना के अटूट सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि कई साल से उनकी नजर कमजोर होती जा रही थी, जिससे साधारण कार्य भी मुश्किल हो रहे थे। जब उन्होंने इस शिविर के बारे में सुना, तो उन्हें यह वरदान की तरह प्रतीत हुआ। रमेश थापा ने कहा कि आज उनकी शल्य चिकित्सा के बाद वे अब सबकुछ अधिक साफ देख सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना एक बार फिर उनके साथ खड़ी है और यह सुनिश्चित हुआ है कि सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधा दी जा रही है। रमेश थापा ने भारतीय सेना के प्रति आभार व्यक्त किया।

सैन्य-असैन्य सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में कुछ सामान्य नागरिकों को पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर मुफ्त मोतियाबिंद सर्जरी की सुविधा भी मिलती है, जो सामुदायिक सहभागिता में भारतीय सेना की भूमिका को उजागर करती है।

यह भारतीय सेना द्वारा आयोजित किया गया तीसरा शिविर है, इससे पहले देहरादून, उत्तराखंड और राजस्थान के  जयपुर में अत्यंत सफल शिविर आयोजित किए गए थे।