सोमवती अमावस्या 2021

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सोमवती अमावस्या

सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। ये वर्ष में लगभग एक अथवा दो ही बार पड़ती है। इस अमावस्या का हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व होता है। विवाहित स्त्रियों द्वारा इस दिन अपने पतियों के दीर्घायु कामना के लिए व्रत का विधान है।हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है. सोमवार के दिन अमावस्या पड़ने के कारण इसे सोमवती अमावस्या (स्नान-दान अमावस्या, चैत्र अमावस्या) भी कहते हैं.  इस बार 11 अप्रैल को पड़ रही है.  अमावस्या कृष्ण पक्ष की अमावस्या को ही पड़ती है.

हिन्दू धर्म के अनुसार ,अमावस्या के दिन लोग पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए दान-पुण्य और पिंडदान करते हैं.  अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा का भी विधान है. महिलाएं पीपल के पेड़ में दूध, जल, पुष्प, अक्षत और चंदन से पूजा करें.पीपल में 108 बार धागा लपेट कर परिक्रमा करें और संतान एवं पति की लंबी आयु की इच्छा करें.

सोमवती अमावस्या शुभ मुहूर्त:
अमावस्या – 11 अप्रैल 2021 दिन रविवार को सुबह 06 बजकर 05 मिनट से शुरू हो जाएगी और
12 अप्रैल 2021 दिन सोमवार को सुबह 08 बजकर 02 मिनट तक रहेगी.

सोमवती अमावस्या महत्व :

सनातन धर्म में सोमवती अमावस्या की बड़ी महिमा बताई गई है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सोमवती अमावस्या के दिन महिलाएं संतान और जीवनसाथी की लंबी आयु के लिए व्रत भी रखती हैं. व्रत में महिलाएं पीपल के पेड़ की पूजा करती हैं. पीपल के वृक्ष के मूल भाग में भगवान विष्णु, अग्रभाग में ब्रह्मा और तने में भगवान शिव का वास माना जाता है, इसलिए अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान शनि के मंत्रों का जाप करें. धार्मिक दृष्टिकोण से इस दिन पितरों का पिंडदान और अन्य दान-पुण्य संबंध कार्यों का विशेष महत्व है. इसके अलावा  अमावस्या के दिन स्नान, दान और मौन रहने से कई गुना पुण्य मिलता है.

 अमावस्या की पूजा विधि:

सोमवती अमावस्या का व्रत करने वाले जातक इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें.
यदि घर में गंगाजल हो तो नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल अवश्य मिला लें.
इसके बाद नए वस्त्र पहनकर प्रभु की आराधना करें.
इसके बाद ताम्बे के लोटे में पवित्र जल लेकर सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद
पितरों के निमित्त तर्पण करें.
इस सिन उपवास करें और किसी जरूरतमंद को दान-दक्षिणा दें.

ऐसी परम्परा है कि पहली  अमावस्या के दिन धान, पान, हल्दी, सिन्दूर और सुपाड़ी की भँवरी दी जाती है।उसके बाद की अमावस्या को अपने सामर्थ्य के हिसाब से फल, मिठाई, सुहाग सामग्री, खाने कि सामग्री इत्यादि की भँवरी दी जाती है। भँवरी पर चढाया गया सामान किसी सुपात्र ब्रह्मण, ननद या भांजे को दिया जा सकता है। अपने गोत्र या अपने से निम्न गोत्र में वह दान नहीं देना चाहिए।