केरल में फंसे ब्रिटिश F-35B को तोड़कर ले जाएगा ग्लोबमास्टर? जानिए पूरी रणनीति

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19 दिन पहले भारत के केरल राज्य में अचानक लैंड हुआ ब्रिटिश रॉयल नेवी का अत्याधुनिक F-35B स्टील्थ फाइटर जेट अब तकनीकी कारणों से वहीं फंसा हुआ है। अब ब्रिटेन इसे वापस ले जाने के लिए एक विशेष योजना बना रहा है, जिसके तहत इस फाइटर जेट को C-17 ग्लोबमास्टर ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के जरिए एयरलिफ्ट किया जाएगा। लेकिन यह कोई आम मिशन नहीं है — इसमें तकनीकी, सुरक्षा, और कूटनीतिक स्तर पर कई जटिलताएं शामिल हैं।

आइए जानते हैं इस पूरे मिशन को 5 आसान बिंदुओं में

  1. क्या F-35B को तोड़ना पड़ेगा?
    हां, F-35B का आकार बहुत बड़ा होने के कारण इसे C-17 में फिट करने के लिए उसके कुछ हिस्सों को अलग करना पड़ेगा।

यह काम सिर्फ अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन के प्रशिक्षित इंजीनियर ही कर सकते हैं।

विमान को खोलना एक अत्यंत संवेदनशील प्रक्रिया है क्योंकि इसमें स्टील्थ तकनीक और कई गोपनीय सैन्य सिस्टम लगे होते हैं।

  1. सुरक्षा होगी बेहद कड़ी
    इस पूरे ऑपरेशन पर ब्रिटिश सेना की सीधी निगरानी रहेगी।

हर स्क्रू, वायर और सिस्टम को कोडबेस पर ट्रैक किया जाएगा।

यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई जानकारी लीक न हो या जासूसी की कोई आशंका न बने।

भारत और ब्रिटेन की सैन्य एजेंसियों के बीच समन्वय अत्यधिक गोपनीय रहेगा।

  1. पहले भी हुआ है ऐसा मिशन
    मई 2019 में अमेरिका में पहली बार एक F-35 जेट को इसी तरह ट्रांसपोर्ट किया गया था।

इस मिशन में चार साल का समय और करीब 2 लाख डॉलर का खर्च आया था।

यह दर्शाता है कि यह प्रक्रिया भले ही संभव हो, लेकिन यह लंबी, महंगी और उच्च सुरक्षा वाली होती है।

  1. F-35 की तकनीक क्यों है खास?
    यह दुनिया के सबसे आधुनिक AI, डेटा फ्यूजन, रडार ब्लॉकिंग कोटिंग और एन्क्रिप्टेड सिस्टम से लैस है।

यह परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है।

इसकी तकनीक अगर किसी अन्य देश के हाथ लग जाए, तो वह रणनीतिक खतरा बन सकती है।

इसी कारण इसे dismantle करने की प्रक्रिया में अत्यधिक सतर्कता बरती जाती है।

  1. दुनिया का सबसे महंगा फाइटर प्रोग्राम
    F-35 प्रोग्राम की कुल लागत लगभग 1.7 ट्रिलियन डॉलर है।

यह प्रोग्राम अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के बीच अब तक का सबसे बड़ा सैन्य निवेश है।

यह जेट किसी भी युद्ध परिस्थिति में नेटवर्क-कनेक्टेड, स्मार्ट और तेज निर्णय लेने में सक्षम होता है।

भारत के लिए कूटनीतिक मायने

इस ऑपरेशन पर अंतरराष्ट्रीय निगाहें टिकी हैं। भारत के लिए यह सिर्फ एक तकनीकी मदद नहीं, बल्कि रणनीतिक सहयोग और भरोसे का प्रतीक भी है। इस मिशन में जरा सी चूक भी अंतरराष्ट्रीय विवाद को जन्म दे सकती है।

केरल में फंसे इस ब्रिटिश F-35B को वापस ले जाना एक तकनीकी, सुरक्षा और कूटनीतिक मिशन है। भारत में पहली बार इस स्तर का गोपनीय और संवेदनशील सैन्य ऑपरेशन हो रहा है, जिससे यह घटना आने वाले समय में भारत-ब्रिटेन सैन्य रिश्तों का नया अध्याय भी साबित हो सकती है।