चारधाम यात्रा में अब तक 5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य जांच, सरकार ने की मजबूत व्यवस्था

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चारधाम यात्रा में अब तक पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य स्क्रीनिंग की जा चुकी है। राज्य सरकार ने इस बार यात्रा मार्गों पर स्वास्थ्य सेवाओं को पहले से अधिक सुदृढ़ किया है। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के निर्देश पर यात्रा मार्ग पर त्रिस्तरीय स्वास्थ्य व्यवस्था लागू की गई है ताकि हर श्रद्धालु को सुरक्षित यात्रा का अनुभव मिल सके।

उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा में देश-दुनिया से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इनमें बुजुर्ग, हृदय और सांस रोगी भी शामिल होते हैं, जो पहली बार ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आते हैं। ऐसे में ठंड और ऑक्सीजन की कमी उनके लिए स्वास्थ्य जोखिम बन सकती है। इसे ध्यान में रखते हुए विशेष तैयारियां की गई हैं।

रुद्रप्रयाग, चमोली और उत्तरकाशी जिलों में 49 स्थायी स्वास्थ्य केंद्र और 20 मेडिकल रिलीफ पोस्ट सक्रिय की गई हैं। इसके अलावा हरिद्वार, देहरादून, टिहरी और पौड़ी जिलों में भी चिकित्सा व्यवस्थाएं मजबूत की गई हैं। श्रद्धालुओं की प्रारंभिक जांच के लिए यात्रा के मुख्य प्रवेश स्थलों पर 57 स्क्रीनिंग कियोस्क लगाए गए हैं। साथ ही हरिद्वार, ऋषिकेश, विकासनगर और कालियासौड़ में नए स्क्रीनिंग सेंटर जोड़े गए हैं।

केदारनाथ धाम में इस बार श्रद्धालुओं के लिए 17 बेड का अस्पताल शुरू किया गया है। यात्रा मार्गों पर 31 विशेषज्ञ डॉक्टर, 200 मेडिकल ऑफिसर और 381 पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती की गई है। इनमें 47 विशेषज्ञ डॉक्टर राज्य स्वास्थ्य सेवा से, 13 केंद्र सरकार से और पांच निजी मेडिकल कॉलेजों से आए हैं।

अब तक की गई जांच में कई श्रद्धालु हाई ब्लड प्रेशर, सांस की दिक्कत और अन्य बीमारियों से पीड़ित पाए गए हैं। ऐसे 29 श्रद्धालुओं को आगे यात्रा न करने की सलाह दी गई है। 369 श्रद्धालुओं को एंबुलेंस से और 33 को हेली एंबुलेंस सेवा से उपचार के लिए रेफर किया गया है।

यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की निगरानी के लिए ई-स्वास्थ्य धाम पोर्टल का इस्तेमाल किया जा रहा है। चारधाम जिलों को इसके लिए 50 टैबलेट दिए गए हैं, जिससे सभी स्क्रीनिंग और मेडिकल रिलीफ पोस्ट पर स्वास्थ्य डाटा डिजिटल रूप से दर्ज किया जा रहा है। यात्रा मार्ग पर कुल 154 एंबुलेंस तैनात हैं, ताकि किसी भी आपात स्थिति में तत्काल सहायता मिल सके।

सरकार का कहना है कि श्रद्धालुओं की आस्था और सुरक्षा दोनों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है और प्रयास है कि हर यात्री को सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा का अनुभव मिले।