
जम्मू-कश्मीर की शांत घाटियों में उस समय दहशत की चीख गूंज उठी, जब मंगलवार दोपहर करीब 2:45 बजे पहलगाम की बैसारन घाटी में आतंकवाद ने एक बार फिर मासूमों को अपना निशाना बनाया। इस आतंकी हमले में अब तक 26 निर्दोष लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 20 से ज्यादा गंभीर रूप से घायल हैं। हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने ली है।
हनीमून मनाने आया जोड़ा बना आतंक का शिकार
इस निर्मम हमले की सबसे हृदयविदारक कहानी उत्तर प्रदेश के शुभम द्विवेदी की है। शुभम दो महीने पहले ही शादी के बंधन में बंधा था और अपनी पत्नी के साथ हनीमून पर पहलगाम आया था। चश्मदीदों के मुताबिक आतंकियों ने उससे नाम पूछा और फिर सिर में गोली मार दी। उसकी पत्नी उस क्षण को देखते हुए बेसुध हो गई और अस्पताल में भर्ती है।
मृतकों में विदेशी नागरिक भी शामिल
मरने वालों में एक नेपाल और एक यूएई के नागरिक के अलावा कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ से आए पर्यटक भी शामिल हैं। स्थानीय नागरिक भी इस हमले की चपेट में आए। मृतकों में शामिल कुछ नाम इस प्रकार हैं: मनुज नाथ, शिवम मोगा, लेफ्टिनेंट विनजय नरवाल, दिलीप डेसले, अतुल मोहने, सैयद हुसैन शाह, सुदीप नेवपाने, बिटन अधकेरी उधवानी कुमार, संजय लेले, हिम्मत कलाथय और मनीष रंजन आदि।
घायलों का इलाज जारी, हेलिकॉप्टर से निगरानी
हमले के तुरंत बाद सुरक्षाबलों ने पूरे क्षेत्र को घेर लिया और तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया। घायल पर्यटकों को श्रीनगर और अनंतनाग के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। सेना ने इलाके में हेलिकॉप्टर से निगरानी बढ़ा दी है ताकि आतंकी किसी भी ओर न भाग सकें।
हैरानी की बात यह रही कि प्रशासन ने शुरुआत में सिर्फ एक मौत की पुष्टि की थी, जबकि चार घंटे बाद न्यूज एजेंसियों ने 26 लोगों के मारे जाने की खबर दी। इससे सरकारी तंत्र की गंभीरता पर सवाल उठ रहे हैं।
हेल्पलाइन नंबर जारी
अनंतनाग पुलिस और श्रीनगर प्रशासन ने पर्यटकों की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं:
अनंतनाग पुलिस: 9596777669, 01932225870
वॉट्सऐप हेल्पलाइन: 9419051940
श्रीनगर पुलिस: 0194-2457543, 0194-2483651
एडीसी श्रीनगर (आदिल फरीद): 7006058623
इस बर्बर हमले की देशभर में निंदा हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने घटना पर गहरा दुख जताया और पीड़ित परिवारों को हरसंभव सहायता देने का भरोसा दिलाया है। सोशल मीडिया पर भी आम लोग इस हमले से आहत हैं और आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
यह हमला एक बार फिर इस बात की याद दिलाता है कि कश्मीर की घाटियों में हालात भले ही बेहतर दिख रहे हों, लेकिन ज़मीनी सच्चाई कुछ और कहती है। यह घटना न केवल सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती है, बल्कि पूरे देश के लिए चेतावनी भी कि आतंकवाद अभी मरा नहीं है।