अपराध नियंत्रण में एआई की भूमिका बढ़ेगी, अपराध रोकने की सटीक रणनीति – अमित शाह

भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के माध्यम से अपराध पर लगाम लगाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया जा रहा है। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि सरकार अगले एक-दो वर्षों में AI के माध्यम से अपराध रोकने की रणनीतिक योजना बनाएगी।

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भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के माध्यम से अपराध पर लगाम लगाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया जा रहा है। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि सरकार अगले एक-दो वर्षों में AI के माध्यम से अपराध रोकने की रणनीतिक योजना बनाएगी। इसके तहत देशभर में उपलब्ध विभिन्न आपराधिक डाटा का विश्लेषण कर सटीक और प्रभावी रणनीतियाँ तैयार की जाएंगी।

अमित शाह ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय न्यायालयिक विज्ञान सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में अब अपराधियों के खिलाफ त्वरित न्याय और सजा सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस प्रयास हो रहे हैं।

AI से अपराध रोकने की रणनीति

शाह ने बताया कि सीसीटीएनएस, ई-प्रिजन, ई-कोर्ट, ई-प्रोसेक्यूशन, ई-फॉरेंसिक और नफीस (NAFIS) जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध विस्तृत आपराधिक डाटा को अब आपस में जोड़कर AI के जरिए विश्लेषित किया जाएगा। इससे अपराध की प्रवृत्ति को समय रहते पहचाना जा सकेगा और उसे रोकने की रणनीति बनाना संभव होगा। गृह मंत्री ने कहा कि देश में सजा की दर वर्तमान में 54% है, लेकिन नए आपराधिक कानूनों के लागू होने के बाद इसमें 30% की वृद्धि दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश है कि सजा की दर में 40% तक की बढ़ोतरी हो और इसके लिए फॉरेंसिक साइंस की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।

फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स की बढ़ती जरूरत

अमित शाह ने बताया कि 7 साल से अधिक सजा वाले मामलों की जांच के लिए 30 हजार से अधिक फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स की आवश्यकता है। इसके लिए नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (NFSU) से हर साल 32 हजार प्रशिक्षित विशेषज्ञ तैयार किए जाएंगे। फिलहाल NFSU के सात परिसर कार्यरत हैं और अगले छह महीनों में नौ नए परिसर शुरू होंगे। साथ ही 10 और परिसरों की योजना भी तैयार है।

डिजिटल क्रांति के आंकड़े

अमित शाह ने बताया कि देश में अपराध नियंत्रण के लिए उपलब्ध आंकड़ों का एक बड़ा भंडार डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर मौजूद है। सीसीटीएनएस के तहत 14.19 करोड़ FIR और संबंधित दस्तावेज, ई-प्रिजन पर 2.19 करोड़ कैदियों का डाटा, ई-प्रोसेक्यूशन में 39 लाख केसों की जानकारी, ई-फॉरेंसिक पर 39 लाख फॉरेंसिक साक्ष्य, 22,000 अदालतें ई-कोर्ट सिस्टम से जुड़ी हुई हैं, और नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (NAFIS) पर 1.53 करोड़ आरोपितों के फिंगरप्रिंट व मानव तस्करों का डाटा भी ऑनलाइन मौजूद है। इन सभी डाटा स्रोतों को अब आपस में जोड़कर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से विश्लेषण किया जाएगा, ताकि अपराध की रोकथाम के लिए सटीक रणनीतियाँ तैयार की जा सकें।

शाह ने कहा कि इन सभी आंकड़ों को एक साथ जोड़कर विश्लेषण करना ही भविष्य की स्मार्ट पुलिसिंग और न्याय प्रणाली की आधारशिला होगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि आने वाले वर्षों में भारत में सजा की दर दुनिया में सबसे बेहतर होगी।