जानें क्या है मौनी अमावस्या का महत्व, क्यों है इस बार खास

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हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व माना गया है. वैसे तो हर अमावस्या का अपना महत्व होता है, लेकिन माघ माह में पड़ने वाली अमावस्या बेहद खास होती है. माघ माह की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं, जो कि आज यानी 29 जनवरी को है. इस बार मौनी अमावस्या का महत्व और अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि प्रयागराज में चल रहे हैं महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान भी आज मौनी अमावस्या पर किया जा रहा है.

मौनी अमावस्या के दिन स्नान और दान करने का विधान है. इस दिन भगवान विष्णु और शिवजी की आराधना करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. पितरों की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करने के लिए मौनी अमावस्या सबसे शुभ मानी जाती है. इन सभी के अलावा, इस दिन व्रत रखने का भी विधान है. हालांकि, कुछ गृहस्थ और साधु-संन्यासी इस दिन मौन व्रत रखते हैं.

धार्मिक मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन इसकी कथा सुनने से पुण्य की प्राप्ति होती है और हर मनचाही इच्छा पूरी होती है. ऐसा भी कहा जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन इस व्रत कथा को सुनने से व्यक्ति के सभी पाप दूर होते हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. ऐसे में चलिए आपको बताते हैं मौनी अमावस्या की व्रत कथा.

मौनी अमावस्या व्रत कथा

धर्म शास्त्रों में वर्णित पौराणिक कथा के अनुसार, कांचीपुर नगर में देवस्वामी नामक ब्राह्मण अपने परिवार के साथ रहता था. देवस्वामी की पत्नि का नाम धनवती था. उनके सात बेटे और एक बेटी थी, जिसका नाम गुणवती था. एक बार देवस्वामी ने अपनी पुत्री गुणवती के विवाह के लिए एक ज्योतिषी के पास उसकी कुंडली देखने के लिए भेजी. ज्योतिषी ने गुणवती की कुंडली देखकर भविष्यवाणी की कि गुणवती के विवाह के बाद उसके पति की मृत्यु हो जाएगी.

इस भविष्यवाणी को सुनकर देवस्वामी परेशान हो गया और ज्योतिषी से कुछ उपाय बताने के लिए कहा. ज्योतिषी ने देवस्वामी को बताया कि सिंहल द्वीप में एक पतिव्रता महिला रहती है, जिसका नाम सोमा धोबिन है. वह महिला अपने पुण्य दान करके इस दोष को समाप्त कर सकती है. इस बात को सुनकर देवस्वामी ने गुणवती को उसके छोटे भाई के साथ सोमा धोबिन के पास भेजा. दोनों भाई-बहन समुद्र को पार करने के बारे में सोचने लगे.

जब उन्हें कोई रास्ता नहीं मिला तो वे यात्रा के दौरान दोनों समुद्र किनारे एक पीपल के पेड़ के नीचे आराम करने के लिए रुक गए. उस पेड़ पर एक गिद्ध का परिवार रहता था. गिद्ध के बच्चों ने उन दोनों भाई-बहन की सारी बातें सुन लीं और अपनी मां से कहा कि इन दोनों की मदद करो. फिर गिद्ध की मां ने दोनों भाई-बहनों को समुद्र पार करवा दिया और वे सोमा धोबिन के घर पहुंचे.

गुणवती ने सोमा धोबिन के घर के कार्यों में सहायता की और अपनी सारी समस्या बताई. इसके बाद सोमा ने गुणवती के घर जाकर उसकी शादी के दिन पूजा-पाठ करके अपने पुण्य गुणवती को दान कर दिए और इससे गुणवती की कुंडली में वैधव्य दोष दूर हो गया.

जब देवस्वामी ने सोमा से उसके पुण्य प्राप्ति के बारे में पूछा तो उसने कहा कि मौनी अमावस्या के दिन मैंने भगवान विष्णु की पूजा और 108 परिक्रमा की, जिससे मेरे पति और बेटे की अकाल मृत्यु टल गई. यह कथा सिखाती है कि मौनी अमावस्या पर व्रत, दान, और भगवान विष्णु की आराधना से जीवन में सुख-समृद्धि और पुण्य की प्राप्ति होती है.