प्रसिद्ध अभिनेता रजनीकांत ने कहा है कि मंदिर की परंपराओं का लंबे समय से पालन हो रहा है। इसलिए मंदिर की परंपराओं को लेकर कोई दखलंदाजी नहीं होनी चाहिए। रजनीकांत ने सबरीमाला मंदिर के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर पहली बार अपना रुख स्पष्ट किया है।
उल्लेखनीय है कि प्राचीन परंपराओं के तहत भगवान अयप्पा के सबरीमाला मंदिर में दस साल से 50 साल तक की महिलाओं के प्रवेश पर रोक थी। लेकिन विगत 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रथा को बदलने का आदेश देते हुए सभी महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत दे दी।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं की बराबरी को लेकर कोई दूसरा मत नहीं है। रजनीकांत ने कहा, “जब आप किसी मंदिर के बारे में बात करते हैं तो प्रत्येक मंदिर के कुछ रीति-रिवाज एवं परंपराएं होती हैं जिनका लंबे समय से पालन हो रहा है। मेरी विनम्र राय यह है कि किसी को भी उसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले का सम्मान होना चाहिए हालांकि इस ओर भी इशारा किया कि बात जब धर्म एवं संबंधित रिति-रिवाजों की हो तो एहतियात बरतना चाहिए।
सरकार ने जब से कहा है कि वह उच्चतम न्यायालय के फैसले का पालन करेगा तभी से सबरीमला मंदिर में रजस्वला आयु वर्ग की लड़कियों एवं महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ केरल में लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। ‘मीटू’ अभियान पर रजनीकांत ने कहा कि यह महिलाओं के लिए “हितकारी” था। हालांकि उन्होंने चेताया, “इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए और उचित तरीके से प्रयोग होना चाहिए।
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