दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत सुरक्षा के मामलों में लंबे समय तक आयात पर निर्भर नहीं रह सकता। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि हम ना सिर्फ खुद को अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए सक्षम बनाएं बल्कि अपनी स्वतंत्रता की भी रक्षा करें। उन्होंने कहा कि हाल के टकरावों से साफ हो गया है कि ना सिर्फ डिफेंस सप्लाई में बल्कि राष्ट्रहित के लिए किए जाने वाले व्यापारिक सौदों में भी तनाव पैदा होता है।
उन्होंने कहा कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों के लिए मॉस्को पर निर्भर है और इस वजह से यूक्रेन के साथ रूस के युद्ध के चलते भारत पश्चिमी देशों के साथ तनावपूर्ण स्थिति में आ गया था। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश चाहते हैं भारत युद्ध के खिलाफ खड़ा हो और रूस की निंदा करे। एयर चीफ मार्शल पीसी लाल मेमोरियल लेक्चर के 37वें संस्करण में सभा को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि देश की सुरक्षा के लिए हम प्रौद्योगिकी विकास और मानव संसाधन प्रबंधन करें जिससे हम अंतरिक्ष निर्देशित हमले और अंतरिक्ष संपत्तियों की रक्षा कर सकें।
उन्होंने कहा कि भविष्य में युद्ध की प्रकृति का अनुमान लगाना हमारा कर्तव्य है। हमारे विरोधियों द्वारा अंतरिक्ष में सैन्य उपयोग की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। इससे हम पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है। आज जरूरत इस बात की है कि हम उभरती हुई सुरक्षा चुनौतियों की पहचान करें और उसके लिए पूरी तरह से तैयार रहें।
उन्होंने कहा कि भविष्य के युद्धों की प्रकृति का आकलन सीरिया, इराक और अफगानिस्तान की स्थिति और यूक्रेन में हालिया संघर्ष को करीब से देखने पर किया जा सकता है। इन्हें स्थानीय खतरों से जोड़कर गहरी समझ हासिल की जा सकती है। रक्षा मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ समय में डिफेंस सेक्टर में टेकनोलॉजी के इस्तेमाल में जबर्रदस्त तेजी देखने को मिली है। उन्होंने ये भी कहा कि महंगे हथियार जीत की गारेंटी नहीं है बल्कि टेकनोलॉजी इसमें काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।