लद्धाख से 7700 रोहिंग्या मुस्लमान अचानक गायब हो गए है। लेह पुलिस व कारगिल पुलिस का कहना है कि रोहिंग्या यहाँ मौजुद नहीं है। क्षेत्रीय ग्रामीण व शहरी इलाकों के काउंसर भी कह रहे कि वर्क परमिट या सरकारी दस्तावेज बनवाने के लिए कोई उनके पास नहीं आया है। साथ ही साथ केन्द्र सरकार ने भी यह कहा है कि लद्धाख में पहुँचे 7700 रोहिंग्या मुस्लमान सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है।
कुछ दिनों पहले खुफिया एजेंसी का कहना था कि 55 रोहिंग्या लद्धाख पहुँच गए है। पर इस दावें को कारगिल प्रशासन नकार रहा है। सवाल यह है कि इतने बड़े संख्या में रोहिंग्या लद्धाख कैसे आए। 2012 में यूएन हाई कमीश्न फॉर ने अधिकारिक तौर पर भारत में 14 हज़ार रोहिंग्या मुस्लमानों को शरण दिलाने की बात कहीं थी। कई बार रोहिंग्या मुस्लमानों की संख्या बढनें की खबरें भी आई है।
करगिल और लेह का पुलिस प्रशासन क्या कहता हैं, जानिये…
करगिल के एसएसपी डॉ. विनोद कुमार का कहना है कि अगस्त से लेकर अब तक उनके पास रोहिंग्या को लेकर केंद्र की तरफ से कोई भी इनपुट नहीं आया है। इस क्षेत्र के सभी थाने-चौकियों को अलर्ट किया गया है। यहां तक बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) और आर्मी को भी सचेत किया गया है। कि वे किसी भी व्यक्ति को काम पर रखने से पहले जिला प्रशासन को उसकी सूचना दें। करगिल और उसके आसपास के दूसरे इलाकों में भी गहन छानबीन की गई है।
रोहिंग्या मुस्लमानों की मौजुदगी जम्मू-कश्मीर,हैदराबाद,केरल,दिल्ली,हरियाणा कोलकाता समेत उत्तर पूर्व के कुछ राज्यों में इनकी उपस्थिति पाई गई है।
कुछ दिनों पहले जम्मू सरकार ने भी कहा था कि 5700 रोहिंग्या जम्मू समेत लद्धाख में है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय का मानना है, लद्धाख में रोहिंग्या की मौजुदगी एक बड़े खतरे को पैदा कर सकती है। एजेंसियों का कहना है कि पाक एजेंसियां व आतंकी संगठन रोहिंग्या मुस्लमानों के साथ अपनी निकटता बनती जा रही है।
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