
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा आयातित वस्तुओं पर 30 प्रतिशत टैरिफ लगाने के फैसले के बाद अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) के बीच व्यापारिक तनाव तेज हो गया है। ब्रुसेल्स में हुई EU के व्यापार मंत्रियों की बैठक में इस कदम की कड़ी निंदा करते हुए इसे “अस्वीकार्य और असंतुलित” बताया गया। साथ ही यूरोपीय संघ ने जवाबी टैरिफ लगाने की चेतावनी भी दी है।
यूरोपीय उत्पाद होंगे प्रभावित
अमेरिका की नई टैरिफ नीति का सीधा असर फ्रांस के पनीर, इटली के चमड़े के सामान, जर्मनी के इलेक्ट्रॉनिक्स और स्पेन की दवाइयों पर पड़ने वाला है, जिससे ये उत्पाद अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएंगे। पुर्तगाल और नॉर्वे जैसी छोटी अर्थव्यवस्थाओं पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि EU ने जवाबी टैरिफ योजना फिलहाल टाल दी है, लेकिन यह निर्णय महीने के अंत तक संभावित व्यापार समझौते की उम्मीद को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
व्यापार असंतुलन और कूटनीतिक दबाव
अमेरिका ने टैरिफ लगाने के पीछे EU के साथ व्यापार संतुलन की कमी, मेक्सिको से अवैध प्रवासन और ड्रग तस्करी जैसे मुद्दों का हवाला दिया है। EU के व्यापार प्रतिनिधि मारोस सेफकोविच ने कहा कि संघ अब वैकल्पिक बाजारों की तलाश कर रहा है, ताकि अमेरिकी निर्भरता कम की जा सके।
EU की रणनीति, एशिया की ओर रुख
EU अब इंडोनेशिया समेत एशियाई देशों के साथ आर्थिक साझेदारियों पर जोर दे रहा है-
इंडोनेशिया के प्रधानमंत्री के साथ नई व्यापारिक सहमति बनी है।
EU के शीर्ष अधिकारी चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, सिंगापुर और फिलीपींस के साथ शिखर सम्मेलन की तैयारियों में जुटे हैं।
अगर अमेरिका और EU के बीच यह टैरिफ युद्ध शुरू होता है, तो इससे ट्रांस-अटलांटिक व्यापार, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं और अंतरराष्ट्रीय बाजारों की स्थिरता बुरी तरह प्रभावित हो सकती हैं। विश्लेषकों का मानना है कि फिलहाल दोनों पक्षों के बीच राजनयिक समाधान की गुंजाइश है, लेकिन अगर यह विफल रहा, तो वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और बढ़ सकती है।
अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच यह टैरिफ विवाद न केवल दोनों के आर्थिक हितों को प्रभावित करेगा, बल्कि वैश्विक व्यापारिक समीकरणों को भी नई दिशा दे सकता है। अब सबकी नजरें इस महीने के अंत तक होने वाली बातचीत पर टिकी हैं।