सरकार को दोहरा झटका उर्जित पटेल, विरल आचार्य ने अपने RBI पद से दिया इस्तीफा

0

 5 राज्यों के चुनावी परिणामों से पहले भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर पद से उर्जित पटेल और डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस अप्रत्याशित कदम लेकर पटेल ने कहा है कि उन्होंने निजी कारणों के वजह से इस्तीफा दिया है। उन्होंने कहा कि आरबीआई में अपनी सेवाएं देकर मैं खुद को सम्मानित महसूस करता हूं।  पटेल आरबीआई के 24वें गवर्नर थे। विरल आचार्य ने 20 जनवरी 2017 को आरबीआई के डिप्टी गवर्नर पद पर कार्यरत थे।

आरबीआई पर क्या पड़ेगा असर

उर्जित पटेल के इस कदम से आरबीआई की स्वायत्ता पर असर पड़ने की पूरी संभावना है, क्योंकि सरकार के पास एक तरह से केंद्रीय बैंक का पूरा नियंत्रण चला जाएगा। जिन कारणों से उर्जित पटेल को गवर्नर पद को त्यागना पड़ा उनमें सरकार द्वारा सेक्शन 7 का इस्तेमाल करने की और छोटे उद्योगों के लिए लोन आसान बनाना, कर्ज और फंड की समस्या से जूझ रहे 11 सरकारी बैंकों को कर्ज देने से रोकने पर राहत और शैडो लेंडर्स को ज्यादा लिक्विडिटी देना अंकित है।

RBI भी सरकार के रवैये को लेकर काफी आक्रामक है। RBI का कहना है कि क्या सरकार बैंक कि स्वायत्तता को खत्म करना चाहती है। इसके लिए उसने 2010 के अर्जेंटीना के वित्तीय बाजार का भी उदाहरण दिया है।

कुछ दिनों पहले ही केन्द्र सरकार ने संकेत दिए थे कि वह पटेल का इस्तीफा नहीं चाहती है लेकिन बैंक के साथ कुछ मुद्दों पर समाधान आवश्यक है।

अरूण जेटली गडकरी ने चेतावनी दी थी

जेटली ने कहा कि तेज ग्रोथ के लिए सिस्टम में पर्याप्त लिक्विडिटी जरूरी है। वित्त मंत्री ने ये भी कहा कि अगर क्रेडिट पर्याप्त भी है तो सभी सेक्टर की सेहत का ध्यान रखना भी जरूरी है। वहीं गडकरी ने कहा कि आरबीआई की सख्त लोन प्रक्रिया के कारण बैंक देश भर में चल रहे तमाम इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को वित्तीय मदद नहीं दे रहे हैं।

इसके चलते करीब 2 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट अटके हुए हैं। गडकरी का कहना है कि आरबीआई लोन की प्रक्रिया को मुश्किल बना रहा है जिससे इंफ्रा के लिए पैसे की किल्लत हो रही है।

यदि आप पत्रकारिता क्षेत्र में रूचि रखते है तो जुड़िए हमारे मीडिया इंस्टीट्यूट से:-