
पहलगाम आतंकी हमले के 13 दिन बाद भारत ने जवाब देने में एक पल की भी देरी नहीं की। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम से चलाए गए इस विशेष सैन्य अभियान में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर उन्हें नेस्तनाबूद कर दिया। इस एयरस्ट्राइक में लश्कर-ए-तैयबा के 70 से अधिक आतंकियों और उनके हैंडलरों के मारे जाने की पुष्टि हुई है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ क्यों है खास?
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को झकझोर दिया था। इस हमले में कई जवान शहीद हुए और कई महिलाएं विधवा हो गईं। कुछ ने पति को खोया तो कुछ मांओं ने अपने जीवन का सहारा। कई ऐसी भी नवविवाहिताएं थीं जिनके हाथों की मेंहदी भी नहीं सूखी थी और आतंकियों ने उनका सिंदूर उजाड़ दिया।
भारतीय संस्कृति में सिंदूर केवल सौंदर्य नहीं, बल्कि एक रिश्ते, जीवनभर की साझेदारी और विश्वास का प्रतीक होता है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम उन्हीं वीरांगनाओं के बलिदान और दुःख का प्रतीक बनकर उभरा है।
किसने दिया भावनात्मक नाम?
मीडिया रिपोर्ट्स और सरकारी सूत्रों के मुताबिक, इस ऑपरेशन को यह नाम स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया। प्रधानमंत्री ने इस पूरे सैन्य अभियान की तैयारी पर न सिर्फ नज़र रखी, बल्कि नामकरण में भी व्यक्तिगत संवेदनशीलता दिखाई। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ उन आँसुओं की गूंज है जो देश की कई माताओं, बहनों और बेटियों की आंखों से उस दिन बह निकले थे।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत का केवल सैन्य कदम नहीं, बल्कि यह एक सशक्त कूटनीतिक और भावनात्मक संदेश भी है — कि भारत अब सिर्फ सहन नहीं करेगा, बल्कि हर बलिदान का करारा जवाब देगा।
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, जिन ठिकानों को निशाना बनाया गया उनमें लश्कर और जैश जैसे संगठनों के ट्रेनिंग कैम्प, लॉजिस्टिक बेस और लॉन्च पैड शामिल थे। इनमें से 4 ठिकाने पाकिस्तान में और 5 पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित थे।
यह सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं था, यह उन सिंदूरों का सम्मान था जो आतंक की आग में झुलस गए थे।