डीएसटी, डीबीटी, सीएसआईआर, डीएई, डीआरडीओ और आईआईएससी के अंतर्गत आने वाले संस्थानों को मानकीकृत और सख्त प्रोटोकॉल के माध्यम से स्व-मूल्यांकन और अनुसंधान तथा परीक्षण के लिए अपनी प्रयोगशालाएं तैयार करने को मिली अनुमति मिली है। यह स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और आईसीएमआर द्वारा तय प्राथमिकताओं के अनुरूप होगा।
भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय ने घर में बने मास्कों पर एक विस्तृत नियमावली “सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस को फैसले से रोकने के लिए मास्क जारी की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का संदर्भ देते हुए नियमावली कहती है कि मास्क उन्हीं लोगों पर प्रभावी हैं जो नियमित रूप से अल्कोहल आधारित हैंड रबर या साबुन और पानी से हाथ साफ करते हैं। यदि आप एक मास्क पहनते हैं, तो आपको इसके इस्तेमाल और इसके उचित निस्तारण के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए।
विश्लेषण से पता चलता है कि यदि 50 प्रतिशत आबादी मास्क पहनती है तो सिर्फ 50 प्रतिशत आबादी को ही वायरस से संक्रमण होगा। यदि 80 प्रतिशत आबादी मास्क पहनती है तो इस महामारी पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जा सकती है। तो मास्क को क्यों पहना जाए? इस पर नियमावली कहती है कि एक व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति से संपर्क में आने पर कोविड-19 वायरस आसानी से फैलता है। वायरस को ले जाने वाली बूंदें इसे तेजी से फैलाती हैं और हवा में जीवित रहते हुए यह आखिरकार विभिन्न सतहों पर जाता रहता है।
कोविड-19 को फैलाने वाला वायरस सार्स-कोव-2 किसी ठोस या तरल सतह (एयरोसोल) पर तीन घंटे तक और प्लास्टिक व स्टेनलेस स्टील पर तीन दिन तक जीवित रहता है। नियमावली कहती है कि मास्क से एक संक्रमित व्यक्ति से निकलकर हवा में मौजूद वायरस के छोटी-छोटी बूंदों (ड्रॉपलेट्स) के माध्यम से श्वसन प्रणाली में प्रवेश की आशंकाएं कम हो जाती हैं। यह कहती है कि सुरक्षित मास्क पहनकर वायरस के सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश की संभावनाएं कम हो जाती हैं,
जो इसके प्रसार को रोकने के लिहाज से खासा अहम होगा। हालांकि मास्क को ऊष्मा, यूवी लाइट, पानी, साबुन और अल्कोहल के एक संयोजन के उपयोग से स्वच्छ किया जाना जरूरी है। इस नियमावली को जारी करने का उद्देश्य मास्क, इनके उपयोग और मास्कों के पुनः उपयोग की सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाएं की सरल रूपरेखा उपलब्ध कराना है, जिससे एनजीओ और व्यक्तिगत रूप से लोग खुद ऐसे मास्क तैयार कर सकें और देश भर में तेजी से ऐसे मास्क अपनाए जा सकें।
प्रस्तावित डिजाइन के मुख्य उद्देश्यों में सामग्रियों तक आसान पहुंच, घरों में निर्माण आसान करना, उपयोग और पुनः उपयोग को आसान बनाना शामिल है। कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार पर पूर्व में जारी अपडेट में भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय ने कहा हैं कि कोविड-19 पर बनी विज्ञान और प्रौद्योगिकी अधिकार प्राप्त समिति ने वैज्ञानिक समाधानों के कार्यान्वयन की दिशा में तेजी से काम किया है।
कोविड-19 के लिए परीक्षण सुविधाओं में बढ़ोतरी की अहमियत को देखते हुए ये कदम उठाए गए हैं : डीएसटी, डीबीटी, सीएसआईआर, डीएई, डीआरडीओ और भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के अंतर्गत आने वाले संस्थानों को मानकीकृत और सख्त प्रोटोकॉल के माध्यम से स्व-मूल्यांकन और अनुसंधान तथा परीक्षण के लिए अपनी प्रयोगशालाएं तैयार करने की अनुमति देने को एक कार्यालय ज्ञापन जारी किया गया।
ये परीक्षण स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) और आईसीएमआर द्वारा तय प्राथमिकताओं के अनुरूप होंगे। अनुसंधान भी अल्पकालिक और मध्यकालिक नतीजे देने वाले होंगे।
एसएंडटी अधिकार प्राप्त समिति का गठन 19 मार्च, 2020 को किया गया था।
नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर विनोद पॉल और भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के. विजय राघवन की अगुआई में बनी यह समिति विज्ञान एजेंसियों, वैज्ञानिकों तथा नियामकीय संस्थाओं के बीच समन्वय और सार्स-सीओवी-2 वायरस और कोविड-19 महामारी से संबंधित शोध एवं विकास के कार्यान्वयन की दिशा में तेजी से फैसले लेने के लिए जवाबदेह है।