
उत्तराखंड के विश्वप्रसिद्ध तीर्थ श्री केदारनाथ धाम के कपाट शुक्रवार को विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर परिसर में पहुंचे और कपाट बंद होने से पहले बाबा केदार के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त किया।
शीतकालीन पूजा अब उखीमठ में
कपाट बंद होने के साथ ही बाबा केदार की शीतकालीन पूजा और धार्मिक अनुष्ठान पंचकेदार परंपरा के तहत उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में संपन्न होंगे। शुभ मुहूर्त में भगवान केदारनाथ की डोली रावल और तीर्थ पुरोहितों के नेतृत्व में मंत्रोच्चार और पारंपरिक वाद्ययंत्रों की ध्वनि के बीच उखीमठ के लिए रवाना हुई। मार्ग में कई गांवों के श्रद्धालुओं ने डोली यात्रा का स्वागत किया, जिससे पूरा क्षेत्र आस्था और भक्ति के रंगों में रंग गया।
परंपरा और मान्यता
कठोर ठंड और बर्फबारी के कारण शीतकाल में केदारनाथ में रहना संभव नहीं होता। ऐसे में हर वर्ष छह माह तक भगवान केदारनाथ शीतनिद्रा में रहते हैं और भक्तों को उखीमठ में दर्शन देते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार, महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए भगवान शिव की शरण ली थी। शिवजी ने इसी हिमालयी क्षेत्र में केदारनाथ रूप में उन्हें दर्शन देकर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त किया था।
कपाट बंद होने की भव्य प्रक्रिया
कपाट बंद होने से पूर्व मुख्य पुजारियों ने बाबा केदार का अलंकरण और वस्त्र उतारकर उन्हें समाधि रूप में विराजमान किया। इसके बाद पूजा-अर्चना के बीच कपाट बंद किए गए। इस दौरान पूरा केदारनाथ परिसर “हर हर महादेव” के जयघोष से गूंज उठा।
अब अगले छह महीनों तक बाबा केदार के दर्शन उखीमठ में ओंकारेश्वर मंदिर में होंगे। इस दौरान केदारपुरी बर्फ की चादर में ढककर शांत हो जाएगी। अगले वर्ष अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर फिर से कपाट खोले जाएंगे, जब श्रद्धा, भक्ति और उमंग से भरी केदारपुरी की रौनक एक बार फिर लौट आएगी।













