मुनाफे के दावों पर रेलवे की पोल खोल, कैग रिपोर्ट में दिखा पहली बार 26,328 करोड़ रुपये का घाटा

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नई दिल्ली। कैग (नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक) की रिपोर्ट से भारतीय रेलवे के सरप्लस बैलेंस शीट वाले दावे में दम नजर नहीं आ रहा है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि रेलवे ने लेखाविधि (अकाउंटेंसी) में बाजीगरी के जरिए 2019-20 में 1589 करोड़ रुपये नेट सरप्लस दर्शाया है। जबकि हकीकत यह है कि इस वित्तीय वर्ष में रेलवे के इतिहास में पहली बार विभाग 26,328 करोड़ रुपये के घाटे (निगेटिव बैलेंस) से जूझ रहा था। इस प्रकार 2019-20 में रेलवे का ऑपरेटिंग रेशियो 114.35 फीसदी था। यानी 100 रुपये कमाने में रेलवे 114.35 रुपये खर्च कर रहा था

लेकिन रेलवे की अकाउंटेंसी का दावा है कि उक्त वर्ष ऑपरेटिंग रेशियो 98.36 फीसदी रहा। कैग ने संसद में मंगलवार को रेलवे वित्त प्रतिवेदन में तीन अध्याय पेश किए हैं। पहले अध्याय में रेलवे की वित्तीय स्थिति के बारे में रेलवे ने दावा किया कि 2019-20 में विभाग के पास नेट सरप्लस 1589.42 करोड़ रुपये था। जबकि हकीकत यह है कि इस वित्तीय वर्ष में रेलवे 26,326.39 करोड़ के निगेटिव बैलेंस से जूझ रही थी।

जानकारों का कहना है कि रेलवे ने सेवानिवृत्त कर्मियों की पेंशन व अन्य व्यय जोनल रेलवे के कुल व्यय (टोटल एक्सपेंडीचर) के बजाए पेंशन फंड में दर्शाया। यदि रेलवे पेंशन व अन्य व्यय को कुल व्यय में दर्शाया जाता तो रेलवे की बैलेंस शीट ऐतिहासिक रूप से पहली बार 26,326.39 करोड़ के घाटे में मानी जाती और रेलवे के नेट सरप्लस (1589.42 करोड़ रुपये) के दावे हवा हो जाते। रेलवे ने इस नेट सरप्लस धन के मुताबिक 2019-20 में ऑपरेटिंग रेशियो 98.36 फीसदी दर्शाया है, लेकिन हकीकत यह है कि रेलवे 2019-20 में घाटे की पटरी पर दौड़ रही थी और इसका ऑरेटिंग रेशियो 114.35 फीसदी रहा है।