राजनीति में प्रियंका की एंट्री, कांग्रेस के इस खेल से मायावती को नुकसान या बीजेपी को?

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 लोकसभा चुनाव 2019 से पहले प्रियंका गांधी की सक्रिय राजनीति में कदम ने यूपी के सियासी राजनीति को एक बार फिर से उलझा दिया है। बात दें यूपी में अब तक भाजपा और सपा-बसपा गठबंधन के बीच सीधी टक्कर हुआ करती थी। अब प्रियंका गांधी की दस्तक ने अब मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है।

प्रियंका गांधी की राजनीतिक एंट्री के बाद से अब हर कोई यही सवाल खड़ा उठ रहा है कि क्या एक मजबूत दावेदारी पेश करने का दावा करने वाली कांग्रेस से बीजेपी को फायदा मिलेगा? क्या कांग्रेस के इस कदम से मायावती को नुकसान होगा? अगर कुछ सियासी समीकरणों पर नजर दौड़ाया जाए तो ऐसे हालात बनते दिख रहे हैं कि कांग्रेस के आने से शायद भाजपा को सीधे तौर पर फायदा हो सकता है।

क्या कांग्रेस के अंदर प्रियंका गांधी सत्ता का नया केंद्र बनकर उभरेंगी, यह सवाल अभी उठना लाजिमी है। क्योंकि प्रियंका गांधी की राजनीति में औपचारिक इंट्री उस समय हुई है जब कांग्रेस ने हाल ही में तीन राज्यों में चुनाव जीतकर सरकार बनाई है और लेकिन उत्तर प्रदेश में सपा और बीसएसपी गठबंधन से अलग सभी सीटों में चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है। बता दें साल 2004 से रायबरेली और अमेठी में प्रचार कर रही प्रियंका गांधी के लिए उत्तर प्रदेश में रास्ता इतना भी आसान नहीं है।

साल 2012 के विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी ने रायबरेली और अमेठी में गली-गली प्रचार किया था। लेकिन नतीजे कांग्रेस के पक्ष में बिलकुल नहीं आई थी। रायबरेली की 5 विधानसभा सीटें, सरेनी, बंछरावा, हरचंदपुर, सरेनी, ऊंचाहार से कांग्रेस हार गई थी। जबकि इसी चुनाव में सपा ने यहां से चार सीटें जीती थीं। इसी तरह से अमेठी की चार विधानसभा सीटों में तिलोई, सलोन, गौरीगंज, अमेठी, जगदीशपुर में कांग्रेस को सिर्फ 2 सीटों में ही जीत मिली थी।

वहीं बात करें साल 2014 के विधानसभा चुनाव की तो इस चुनाव में प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश और अमेठी में जमकर प्रचार किया था। दोनों ही सीटों पर कांग्रेस की जीत हुई थी। हालांकि अगर इन सीटों के लिए प्रियंका गांधी प्रचार में न भी उतरतीं तो भी कांग्रेस की ही जीत होती। क्योंकि अमेठी से राहुल गांधी और रायबरेली से सोनिया गांधी प्रत्याशी थीं। यह बात जरूर गौर करने वाली है कि अमेठी में राहुल गांधी को स्मृति ईरानी ने ठीक-ठाक टक्कर दी थी और इस बार भी माना जा रहा है कि बीजेपी स्मृति ईरानी को ही अमेठी से उतारेगी।

प्रियंका गांधी के सामने कांग्रेस उत्तर प्रदेश में जिंदा करने की बड़ी चुनौती है लोकसभा चुनाव 2014 में रायबरेली और अमेठी में उनकी मौजूदगी का असर आसपास की सीटों पर रत्ती भर नहीं पड़ा था। लखनऊ, सुल्तानपुर, कानपुर, इलाहाबाद जैसी सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी लाखों के अंतर से हारे थे।

वहीं साल 2017 के विधानसभा चुनाव की बात करें रायबरेली और अमेठी की 10 विधानसभा सीटों में कांग्रेस के खाते में सिर्फ 2 ही सीटें आई थीं। हालांकि इस चुनाव में प्रियंका गांधी चुनाव के लिए नहीं आई थीं। उस समय कांग्रेस के लिए रणनीति बना रहे प्रशांत किशोर, प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश में चेहरा बनाने की भी सलाह भी दी थी।