
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिवसीय दौरे के लिए दक्षिण अफ्रीका रवाना हो गए हैं, जहां वे 21 से 23 नवंबर तक जोहानसबर्ग में आयोजित होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इस प्रतिष्ठित सम्मेलन में भारत विकासशील देशों विशेषकर ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं और चुनौतियों को मजबूती से रखने की तैयारी में है।
यात्रा से पहले विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी सुधाकर दलेला ने बताया कि भारत की प्रमुख प्राथमिकताओं को सम्मेलन में प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि लीडर्स डिक्लेरेशन पर अंतिम सहमति अभी बाकी है, लेकिन ग्लोबल साउथ से जुड़े अहम मुद्दों जैसे वित्तीय सहायता, समावेशी विकास और जलवायु न्याय को भारत पूरे जोर के साथ उठाएगा।
इस बार जी-20 सम्मेलन कई मायनों में खास है, क्योंकि पहली बार अफ्रीकी महाद्वीप इसकी मेजबानी कर रहा है। दलेला के अनुसार, इससे अफ्रीका और अन्य विकासशील देशों की जरूरतों पर वैश्विक स्तर पर ध्यान और बढ़ेगा। उल्लेखनीय है कि भारत की 2023 जी-20 अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकन यूनियन को स्थायी सदस्यता प्रदान की गई थी, जिसे ऐतिहासिक कदम माना गया।
दक्षिण अफ्रीका अपने अध्यक्षीय कार्यकाल की थीम “Solidarity, Equality, Sustainability” के तहत चार प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान दे रहा है, जिनमें विकासशील देशों की आवाज़ को वैश्विक नीति-निर्माण में ज्यादा मजबूती देने पर जोर है। भारत ने भी अपनी अध्यक्षता के दौरान डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, खाद्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और ऋण-स्थिरता जैसे मुद्दों पर बेहद सक्रिय भूमिका निभाई थी, ये विषय इस वर्ष भी चर्चाओं के केंद्र में रहेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी की यह दक्षिण अफ्रीका की चौथी आधिकारिक यात्रा है। इससे पहले वे 2016 में द्विपक्षीय यात्रा, और 2018 व 2023 में ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल होने के लिए गए थे। इस बार भी कई महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठकों की संभावना है।
जी-20 दुनिया की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का समूह है, जो वैश्विक GDP का 85%, वैश्विक व्यापार का 75% और दुनिया की 60% से अधिक आबादी का प्रतिनिधित्व करता है। यह मंच वैश्विक आर्थिक समन्वय और विकास नीतियों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।












