: सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था। भारत को आजाद करानें के लिए बहुत सारे संघर्श किए थे। अपने सार्वजनिक जीवन में नेताजी को कुल 11 बार कारावास की सजा दी गई थी।
सबसे पहले उन्हें 16 जुलाई 1921 को 6 महीने का कारावास दिया गया था। 1941 में एक मुकदमे के सिलसिले में उन्हें कलकत्ता की अदालत में पेश होना था। तभी वे अपना घर छोड़कर चले गए और जर्मनी पहुंच गए। जर्मनी में उन्होंने वहां के चांसलर हिटलर से मुलाकात की और अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध के लिए उन्होंने आजाद हिन्द फौज का गठन किया था।
LIVE : PM Modi inaugurates Subhash Chandra Bose Museum at Red Fort in New Delhi. https://t.co/VATfnfHPqR
— BJP (@BJP4India) January 23, 2019
युवाओं को ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का नारा भी दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में लालकिले पर आज सुभाष चंद्र बोस संग्रहालय का उद्घाटन किया। यह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 122वीं जयंती के अवसर पर इसे राष्ट्र को समर्पित किया। इस संग्रहालय में सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज से जुड़ीं चीजों को प्रदर्शित किया जाएगा।
जानकारी के अनुसार इस म्यूजियम में नेताजी द्वारा इस्तेमाल की गई तलवार, कुर्सी के साथ ही आईएनए से जुड़े पदक, वर्दी, बैज और अन्य चीजें भी देखी जा सकती हैं। बता दें कि आईएनए के खिलाफ जो मुकदमा दायर किया गया था। उसकी सुनवाई लाल किले के परिसर में ही की गई थी।
इसीलिए यहां संग्रहालय बनाया गया है। संग्रहालय में आने वाले लोगों को बेहतरीन अनुभव प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें फोटो, पेंटिंग, अखबार की क्लिपिंग, प्राचीन रिकार्ड, ऑडियो-वीडियो क्लिप, एनिमेशन व मल्टीमीडिया की सुविधा होगी।
आपको बता दें कि अभी कुछ समय पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजाद हिंद फौज के द्वारा अंडमान निकोबार में फहराए गए तिरंगे के 75 साल पूरे होने पर वहां का दौरा किया था। इस दौरान प्रधानमंत्री ने तीन द्वीपों का नाम सुभाष चंद्र बोस के नाम पर करने का ऐलान किया था।
अंडमान में मौजूद हैवलॉक द्वीप का नाम स्वराज द्वीप, नील द्वीप का शहीद द्वीप और रॉस द्वीप को नेताजी सुभाष चंद्र द्वीप के नाम से जाना जाएगा। आपको बतादें कि आजाद हिंद सरकार के 75 साल पूर्ण होने पर इतिहास मे पहली बार साल 2018 मे नरेंद्र मोदी ने किसी प्रधानमंत्री के रूप में 15 अगस्त के अलावा लाल किले पर तिरंगा फहराया। 11 देशो कि सरकार ने इस सरकार को मान्यता दी थी।