
नॉर्थ-ईस्ट में कुदरत लोगों से नाराज चल रही है. बीते तीन दिनों से हो रही भारी बारिश से नदियां उफान पर हैं. कई शहरों में बाढ़ जैसे हालात हैं. जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. असम, मणिपुर, सिक्किम मिजोरम, त्रिपुरा और अरुणाचल में आसमानी आफत से खतरा बढ़ गया है. त्रिपुरा में अगरतला को छोड़कर सभी प्रमुख नदियों का जलस्तर बढ़ा हुआ है. मुख्यमंत्री ने रविवार को सभी निर्धारित कार्यक्रम रद्द कर दिए और अधिकारियों के साथ स्थिति की निगरानी की.
त्रिपुरा में जिला प्रशासन ने हालात के मद्देनजर 28 राहत शिविर खोले हैं, जिनमें 6000 से अधिक लोगों को भेजा जा चुका है. त्रिपुरा में भारी बारिश सामान्य मानसूनी बारिश है इसलिए अब कोई बड़ी बाढ़ की उम्मीद नहीं है. IMD ने सामान्य मानसून गतिविधि के रूप में राज्य में एक सप्ताह तक मध्यम से भारी बारिश का अनुमान लगाया है.
हाओरा नदी का जलस्तर पहले ही खतरे के निशान को पार कर चुका है. अगरतला के मेयर दीपक मजूमदार ने कहा, ‘शहर का आकार कटोरे जैसा है और हल्की बारिश में भी अगरतला में जलभराव हो जाता है. आईएमडी ने त्रिपुरा के लिए मौसम की चेतावनी जारी की है, पूरे राज्य में अगले सात दिनों में लगातार भारी बारिश और आंधी का अनुमान लगाया गया है. अलर्ट में शहरी बाढ़, भूस्खलन, यातायात अवरोध और कृषि नुकसान के कारण महत्वपूर्ण व्यवधान की संभावना पर प्रकाश डाला गया है.
भारी बारिश ने मणिपुर में कहर बरपाया है और पिछले 48 घंटों में राज्य भर में बाढ़ और भूस्खलन के कारण 3,802 लोग प्रभावित हुए और 883 घर क्षतिग्रस्त हो गए. राजधानी इंफाल के कई इलाके और इंफाल पूर्वी जिले के कई हिस्से जलमग्न हो गए हैं, क्योंकि खुरई, हिंगांग और चेकोन इलाकों में उफान पर चल रही नदी के तटबंध टूट गए और उफान पर आ गए. मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने इंफाल के जलमग्न इलाकों का दौरा किया, जबकि सेना और असम राइफल्स के जवानों ने सबसे ज्यादा प्रभावित जिले इंफाल पूर्वी में जलमग्न इलाकों से लगभग 800 लोगों को बचाया.
मणिपुर में 12 भूस्खलन की घटनाएं सामने आई हैं हुए हैं. एक अन्य अधिकारी ने कहा कि चेकोन क्षेत्र में इंफाल नदी के उफान पर आने के बाद ऑल इंडिया रेडियो इंफाल परिसर और सरकारी जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान सहित कई कार्यालयों और प्रतिष्ठानों के परिसर में जलभराव की खबर है.