इथेनॉल बहस के बीच नितिन गडकरी का पलटवार – कहा, ‘मेरा दिमाग 200 करोड़ रुपये का है, मैं दलाली नहीं करता’

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इथेनॉल मिश्रण को लेकर चल रही राष्ट्रीय बहस के बीच केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने अपने आलोचकों पर करारा पलटवार किया है। नागपुर में एग्रीकोस वेलफेयर सोसाइटी के एक कार्यक्रम में शनिवार को बोलते हुए गडकरी ने कहा, “मेरा दिमाग 200 करोड़ रुपये प्रति माह का है, लेकिन मैं किसी भी तरह की दलाली या निजी वित्तीय लाभ के लिए काम नहीं करता।”

गडकरी ने कहा कि उनकी पहलें और प्रयोग विचारों से प्रेरित होते हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य किसानों को लाभ पहुंचाना है, न कि व्यक्तिगत संपत्ति अर्जित करना। उन्होंने कहा, “आपको लगता है कि मैं यह सब पैसे के लिए कर रहा हूं? मैं ईमानदारी से कमाना जानता हूं। मैं कोई दलाल नहीं हूं।”

मंत्री ने आगे कहा कि विदर्भ क्षेत्र में किसानों की आत्महत्या एक बेहद शर्मनाक स्थिति है और जब तक किसान समृद्ध नहीं होते, उनके प्रयास जारी रहेंगे। उन्होंने राजनेताओं को चेतावनी दी कि पिछड़ापन और विभाजन को राजनीतिक हथियार न बनाया जाए।

सुप्रीम कोर्ट में मामला और पृष्ठभूमि

गडकरी की यह टिप्पणी उस समय आई जब सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितंबर को सभी ईंधन स्टेशनों पर इथेनॉल-मुक्त पेट्रोल उपलब्ध कराने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया। केंद्र सरकार ने इस याचिका का विरोध करते हुए इसे राष्ट्रीय स्वच्छ ईंधन नीति को कमजोर करने का प्रयास बताया था।

भारत ने अप्रैल 2023 में 20 प्रतिशत इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल (E20) देशभर में लागू कर दिया था, जिससे मिश्रण का लक्ष्य तय समय से पांच वर्ष पहले ही पूरा हो गया। इसे कार्बन उत्सर्जन कम करने और कच्चे तेल के आयात में कटौती की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

हालांकि, उपभोक्ताओं और ऑटोमोबाइल विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि E20 मिश्रित ईंधन पुराने वाहनों की दक्षता और स्थायित्व को प्रभावित कर सकता है। याचिका में मिश्रित ईंधन के साथ-साथ इथेनॉल-मुक्त पेट्रोल की उपलब्धता सुनिश्चित करने, पंपों पर इथेनॉल की मात्रा स्पष्ट करने और मिश्रित ईंधन के यांत्रिक प्रभाव पर राष्ट्रीय स्तर का अध्ययन कराने की मांग की गई थी।

अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह मुकदमा “निहित स्वार्थों” का प्रतिनिधित्व करता है और भारत के स्वच्छ ईंधन अभियान को पटरी से उतारने का प्रयास कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि इथेनॉल नीति पर पर्याप्त स्पष्टता है और ऐसा कोई सबूत नहीं है जो यह साबित करे कि E20 ईंधन इंजन, उपभोक्ताओं या किसानों को नुकसान पहुंचाता है।

किसानों और पर्यावरण के लिए बड़ा कदम

विशेषज्ञों के अनुसार, इथेनॉल मिश्रण नीति किसानों के लिए नई आमदनी के स्रोत पैदा करने और आयातित तेल पर निर्भरता कम करने में मदद करेगी। गडकरी बार-बार इस बात पर जोर दे चुके हैं कि यह कदम किसानों को सशक्त बनाने के साथ-साथ देश को पर्यावरण के अनुकूल ईंधन की ओर ले जाएगा।