केंद्र सरकार की वन्यजीव समिति ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास सैन्य उपयोग के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण के कई प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। इसके तहत गोला-बारूद भंडारण, संचार नेटवर्क और अन्य रणनीतिक सुविधाएं विकसित की जाएंगी।केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति की बैठक के दौरान इस रणनीतिक बुनियादी ढांचे के प्रस्तावों पर बातचीत भी की गई। वहीं, रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह नया बुनियादी ढांचा चांगथांग उच्च ऊंचाई वाले ठंडे रेगिस्तान वन्यजीव अभयारण्य और काराकोरम नुब्रा श्योक वन्यजीव अभयारण्य में विकसित किया जाएगा। इसका उद्देश्य गोला-बारूद को तेजी से पहुंचाना और सैनिकों की तैनाती को आसान और तेज बनाना है। यह सैन्य तैयारियों और संचालन को बेहतर बनाने के लिए किया जा रहा है।
मई 2020 में गलवान घाटी में चीन-भारत सैनिकों के बीच झड़पें शुरू हुई थीं। इसके बाद से भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में 54 महीने तक सैन्य गतिरोध बना रहा। यह गतिरोध बीते साल अक्तूबर में खत्म हुआ। इस वजह से भी यह बुनियादी ढांचा देश के रक्षा क्षेत्र के लिए खासी अहमियत रखता है।अब तक स्थायी समिति ने चांगथांग उच्च ऊंचाई शीत मरुस्थल वन्यजीव अभयारण्य में 2,967.63 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करने वाले 107 प्रस्तावों को मंजूरी दी है, तथा कराकोरम नुब्रा श्योक वन्यजीव अभयारण्य में 24,625.52 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करने वाले 64 प्रस्तावों को मंजूरी दी है।