कुमाउं, उत्तराखंड के प्राचीन शिव मंदिर, जहां पर स्वयं शिव है विराजमान

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उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है। यहां के हर एक मंदिर का अपने आप में एक विशेष स्थान है। जैसा की हम सबको पता है इस वर्ष सावन का महीना 4 जुलाई से शुरू हो चुका है।हिंदू धर्म में इस महीने को सबसे खास माना जाता है। इस महीने में हर दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। सावन का महीना शिव का महीना होता है। शिव के इस पावन पर्व पर उत्तराखंड के कुछ विशेष मंदिरों की कुछ विशेष मान्यताएं हैं। आइए जानते हैं कुमाउं उत्तराखंड के प्रसिद्ध शिव मंदिरों के बारे में-

जागेश्वर मंदिर. 

जागेश्वर धाम को भगवान शिव की तपस्थली माना जाता है। यह ज्योतिर्लिंग आठवां ज्योतिर्लिंग माना जाता है। इसे योगेश्वर नाम से भी जाना जाता है। मंदिर की दीवारों पर ब्राह्मी और संस्कृत में लिखे शिलालेखों से इसकी निश्चित निर्माणकाल के बारे पता नहीं चलता है। हालांकि पुरातत्वविदों के अनुसार मंदिरों का निर्माण 7वीं से 14वीं सदी में हुआ था। इस काल को पूर्व कत्यूरी काल, उत्तर कत्यूरी व चंद तीन कालों में बांटा गया है। जागेश्वर एक हिंदू तीर्थ शहर है और शैव परंपरा में धामों (तीर्थ क्षेत्र) में से एक है। इसमें दंडेश्वर मंदिर, चंडी-का-मंदिर, जागेश्वर मंदिर, कुबेर मंदिर, मृत्युंजय मंदिर, नंदा देवी या नौ दुर्गा, नव-ग्रह मंदिर, एक पिरामिड मंदिर और सूर्य मंदिर शामिल हैं। जागेश्वर कुमाऊं क्षेत्र में अल्मोड़ा से 36 किलोमीटर उत्तर पूर्व में स्थित है।

बैजनाथ शिव मंदिर

बैजनाथ उत्तराखण्ड के बागेश्वर जनपद में गोमती नदी के किनारे एक छोटा सा नगर है। यह अपने प्राचीन मंदिरों के लिए विख्यात है,जिन्हें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा उत्तराखण्ड में राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों के रूप में मान्यता प्राप्त है। बैजनाथ उन चार स्थानों में से एक है, जिन्हें भारत सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के तहत ‘शिव हेरिटेज सर्किट’ से जोड़ा जाना है। बैजनाथ को प्राचीनकाल में “कार्तिकेयपुर” के नाम से जाना जाता था, और तब यह कत्यूरी राजवंश के शासकों की राजधानी थी। बैजनाथ बागेश्वर मुख्यालय के 20 किमी उत्तर में स्थित है। पर्यटकों को आकर्षित कर पायेगा।

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