त्रिपुरा HC के न्यायाधीश इंद्रजीत महंती ने कृषि कानून रद्द करने पर दी टिप्पणी, कहा
मोदी सरकार द्वारा लाये गये तीन कृषि कानूनों के लिए एक साल से चल रहे किसान आंदोलन को शुक्रवार सुबह फुल स्टॉप लग गया। पिछले एक साल से लगातार किसान नेता और विपक्ष लगातार भाजपा सरकार पर कृषि कानूनों को लेकर लगातार निशाना साध रहा था। ये एक साल आम जनता के लिए मुश्किलों भरा रहा। इस दौरान पंजाब के कई उघोगों पर ताला लग गया, वहां काम करने वाले मजदूरों-कारीगरों को काम से निकाल दिया गया। सिंधु, टिकरी बॉर्डर समेत दिल्ली के चारों बॉर्डरों पर चक्का जाम होने के कारण लोगों को घंटों जाम का सामना करना पड़ा। जहां दिल्ली बॉर्डरों और यूपी- नोएडा के आस-पास के नौकरीपेशा लोगों को ऑफिस पहुंचने में 20 मिनट लगते थे, वहां किसान आंदोलन के कारण घंटों तक जाम में फंसा रहना पड़ा।
आखिरकार केंद्र सरकार ने किसानों की कृषि कानून वापस लेने की मांगें मान ली और आंदोलन और आम लोगों की रोजमर्रा की समस्याओं पर कुछ हद तक फुल स्टॉप लगा। भाजपा नेता, एडवोकेट्स, किसान नेता सब इस मामले पर अलग-अलग प्रतिक्रिया दे रही है। जहां विपक्ष का कहना है कि उन्होंने मोदी सरकार का घमंड तोड़ दिया, तो वहीं किसान नेताओंं का कहना है कि उन्हें सरकार के ऐलानों पर भरोसा नहीं है, वे तभी घर जाएंगें, जब संसद में ये कानून रद्द हो जाएंगें। साथ ही जहां बात एडवोकेट्स और त्रिपुरा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती की करें, तो उनका कहना है कि ये सरकार की हार नहीं, बल्कि देश की जीत है।
न्यायाधीश इंद्रजीत महंती ने आगे कहा कि वे माननीय प्रधानमंत्री की तारीफ नहीं कर रहे और ना ही इस निर्णय के समर्थन में हैं, पर पीएम मोदी ने जो भी निर्णय लिया जो देशहित के लिए लिया। न्यायाधीश इंद्रजीत महंती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कृषि कानून रद्द करने पर टिप्पणी एक सांप्रदायिक मसले की सुनवाई के दौरान की।