RBI की पूंजी रूपरेखा सही करने की हड़बड़ी क्यों ?- चिदंबरम

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पूर्व वित्तमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी. चिदंबरम ने रिजर्व बैंक की पूंजी रूपरेखा को सही करने की केंद्र सरकार की हड़बड़ी को रविवार को निशाने पर लिया। उन्होंने पूछा कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल के महज चार महीने बचे हैं, ऐसे में यह हड़बड़ी किसलिये। चिदंबरम ने एक के बाद एक ट्वीट करते हुए रिजर्व बैंक से कथित तौर पर पैसे मांगने के लिये केंद्र सरकार की आलोचना की।
चिदंबरम कहा, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार चार साल और छह महीने पूरा कर चुकी है। प्रभावी तौर पर इसके पास अब महज चार महीने बचे हैं। ऐसे में रिजर्व बैंक की रूपरेखा को सही करने की क्या हड़बड़ी है? Image result for RBI की पूंजी रूपरेखा सही करने की हड़बड़ी क्यों ?- चिदंबरमउन्होंने कहा कि यदि सरकार को चालू वित्त वर्ष में और पैसे की जरूरत नहीं है फिर वह अपने कार्यकाल के बचे चार महीनों में रिजर्व बैंक पर दबाव क्यों बना रही है। उन्होंने कहा, सरकार चार साल और छह महीने तक चुप क्यों बैठी रही?
चिदंबरम ने कहा, सरकार दावा करती है कि उसका वित्तीय गणित सही है और हल्ला करती है कि उसने 2018-19 के दौरान 70 हजार करोड़ रुपये कर्ज लेने का इरादा त्याग दिया है। उन्होंने कहा, यदि ऐसा है तो सरकार को इस साल रिजर्व बैंक से पैसे की जरूरत क्यों पड़ रही है? केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक के साथ जारी विवाद को लेकर शुक्रवार को सफाई देते हुए कहा था कि वह रिजर्व बैंक से पैसे की मांग नहीं कर रही है बल्कि केंद्रीय बैंक के पास आरक्षित कोष की मात्रा पर बातचीत कर रही है।Image result for RBI की पूंजी रूपरेखा सही करने की हड़बड़ी क्यों ?- चिदंबरमवित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने इस बीच स्पष्टीकरण देते हुए शुक्रवार को ट्वीट में कहा कि सरकार को पैसे की कोई दिक्कत नहीं है और रिजर्व बैंक से 3.6 लाख करोड़ रुपये की पूंजी मांगे जाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। गर्ग ने कहा,‘वर्ष 2013-14 में सरकार का राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.1 प्रतिशत के बराबर था।
उसके बाद से सरकार इसमें लगातार कमी करती आ रही है। हम वित्त वर्ष 2018-19 के अंत में राजकोषय घाटे को 3.3 तक सीमित कर देंगे। सरकार ने दरअसल बाजार से 70 हजार करोड़ रुपये जुटाने की योजना को भी छोड़ दिया है। गर्ग ने कहा कि इस समय, केवल एक प्रस्ताव पर ही चर्चा चल रही है और वह रिजर्व बैंक की आर्थिक पूंजी की व्यवस्था तय करने की चर्चा है।