डीएमआरसी ने क्यों किया मेट्रो में फ्री पानी पिलाने से इनकार ?

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दिल्ली हाइकोर्ट ने डीएमआरसी को दिल्ली मेट्रो में फ्री में पानी की सुविधा के लिए कहा था। जिसके बाद डीएमआरसी ने फ्री में पानी पीलाने को लेकर साफ इनकार कर दिया। डीएमआरसी ने कहा कि उसने एक इंटरनल सर्वे भी कराया है जिसमें लोगों को यात्रा के दौरान पानी की ज़्यादा जरुरत नहीं है और जिनको है वो 2 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से पानी मेट्रो स्टेशन से खरीद सकते हैं। मेट्रो में यात्रियों को मुफ्त पानी न देने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में डीएमआरसी से सख्त लहजे में पूछा था कि वह अपने यात्रियों को यह मूलभूत सुविधा क्यों नहीं दे सकती, जबकि देश के अलग-अलग हिस्सों में चल रही मेट्रो में मुफ्त पानी की सुविधा मौजूद है।

दरअसल, हर रोज तकरीबन 27 लाख लोग दिल्ली में मेट्रो से सफर करते हैं। लिहाजा इतने लोगों को मुफ्त पानी की सुविधा देने से डीएमआरसी का बजट निश्चित रूप से बढ़ेगा। और इसीलिए मुफ़्त पानी देने की सुविधा को लेकर वो टालमटोल करती आ रही है। दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका सिर्फ मुफ्त पानी के लिए ही नहीं बल्कि साफ-सफाई के लिए डस्टबिन लगाने और यात्रियों को हर स्टेशन पर टॉयलेट की सुविधा देने को लेकर भी है।

डस्टबिन को लेकर डीएमआरसी और सीआईएसएफ ने कोर्ट को बताया कि सुरक्षा के मद्देनजर मेट्रो स्टेशन के अंदर डस्टबिन नहीं लगाए गए हैं। अगर डस्टबिन लगाए गए तो ये यात्रियों की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं। टॉयलेट की सुविधा देने को लेकर भी डीएमआरसी का कहना है कि कुछ मेट्रो स्टेशन पर ये सुविधा मौजूद है और कुछ जगहों पर जो स्टाफ के लिए टॉयलेट  हैं, यात्री स्टाफ़ से कहकर उसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

इस याचिका में कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े किए गए हैं। मसलन पानी ऐसी जरूरत है जिसके लिए इंकार नही किया जा सकता, लेकिन डीएमआरसी वो भी यात्रियों को मुफ्त में देने को तैयार नहीं है। जबकि ये सुविधा मिलनी इसलिए भी जरूरी है क्योंकि मेट्रो में बड़ी संख्या में छोटे बच्चों के साथ सफ़र करने वाली महिलाएं और वो बुजुर्ग भी शामिल हैं जिन्हें अक्सर दवाई खाने के लिए पानी की जरूरत होती है। बहरहाल अब डीएमआरसी के हलफनामें पर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को 6 हफ़्ते में अपना जवाब देना का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई अब 21 जनवरी हो होगी।