एनसीआर क्षेत्र व दिल्ली को प्रदूषण से राहत की उम्मीद,पर्यावरण मंत्रालय ने इस वर्ष धान की पराली की मात्रा में कमी की जताई संभावना

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पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कहा है कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में इस वर्ष धान की पराली की मात्रा में काफी कमी होने की उम्मीद है। मंत्रालय ने बताया कि हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के आठ एनसीआर जिलों में धान का कुल रकबा चालू वर्ष के दौरान पिछले वर्ष की तुलना में 7.72 प्रतिशत कम हो गया है। इसी प्रकार, गैर-बासमती किस्म से कुल धान की पराली की मात्रा पिछले वर्ष की तुलना में 12.42 प्रतिशत कम होने की संभावना है।

हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष धान की पराली की कुल मात्रा में कमी आएगी। इस वर्ष पंजाब में धान की पराली की कुल मात्रा 1.31 मिलियन टन, हरियाणा में 0.8 मिलियन टन और उत्तर प्रदेश के आठ एनसीआर जिलों में 0.09 मिलियन टन तक घटने की संभावना है।

मंत्रालय के अनुसार केन्‍द्र तथा एनसीआर राज्य सरकारों ने धान की पराली की मात्रा को कम करने के लिए किए गए प्रयासों के सकारात्मक परिणाम मिले हैं। केन्‍द्र सरकार और हरियाणा, पंजाब तथा उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारें फसलों में विविधता लाने के साथ-साथ धान की पूसा-44 किस्म के उपयोग को कम करने के उपाय कर रही हैं। गैर-बासमती किस्म की फसलों से धान की पराली को जलाना प्रमुख चिंता का विषय है। जिसके नियंत्रण के लिए फसल विविधीकरण और पूसा-44 किस्म के स्‍थान पर कम अवधि तथा अधिक उपज देने वाली किस्में मंत्रालय की रूपरेखा और कार्य योजना का हिस्सा हैं।

पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दी गई यह जानकारी हर साल वायु प्रदूषण का दंश झेलते दिल्ली और एनसीआर के क्षेत्रों में रह रहे लोगों को राहत पहुंचा सकती है। दिल्ली और एनसीआर का दम घोंटने में हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी यूपी में पराली जलाना सबसे अहम कारण माना जाता रहा है।