दिल्ली में डेंगू का कहर बढता ही जा रहा है। इस बात का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है, कि मरीजों की तादाद इतनी ज्यादा हो गई है, कि अस्पतालो को मरीजो के बिस्तर की व्यवस्था करना चुनौती साबित हो रहा है।
स्थिती यह है कि अस्पतालों के फीवर वार्ड में क्षमता से कहीं अधिक मरीज भर्ती हैं। ऐसे में एक बिस्तर पर दो से तीन मरीजों को गुजारा करना पड़ रहा है। मरीजों की परेशानी यहीं तक सीमित नहीं है। बिस्तरों के कम पडऩे से उन्हें स्ट्रेचरों और अस्पताल के खाली हिस्सों में जमीन पर ही बिस्तर लगाकर उपचार करवाना पड़ रहा है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल में डेंगू वार्ड से इमरजेंसी मेडिसन का फ्लोर मरीजों से भरा हुआ है। डेंगू वार्ड में जगह कम पड़ गई तो अस्पताल प्रबंधन ने मरीजों को इमरजेंसी मेडिसिन के तल पर शिफ्ट करने का सिलसिला शुरू कर दिया। वार्ड में बिस्तरों के अलावा काफी संख्या में स्ट्रेचर लगाने के कारण चलने के लिए भी सोचना पड़ रहा है। डॉक्टरों को भी मरीजों तक पहुंचने के लिए अच्छी खासी मशक्कत करनी पड़ रही है।
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की ओर से जारी आंकड़ों से डेंगू का प्रभाव पता चलता है। रिपोर्ट के मुताबिक इस वर्ष 20 अक्तूबर तक डेंगू के 1020 मामले सामने आ चुके हैं। जबकि, अक्तूबर के पहले 20 दिन में ही 539 लोगों को डेंगू ने प्रभावित किया है। राजधानी में बीते हफ्ते डेंगू के 190 मरीजों की पुष्टि हुई है। इनमें से एक की मौत भी हो चुकी है। मौजूदा वर्ष में चिकनगुनिया की बात करें तो इससे प्रभावित मरीजों का आंकड़ा भी 109 हो चुका है। इनमें से 30 मामलों का खुलासा तो इसी माह हुआ है। जबकि, मलेरिया पीड़ितों की तादाद 411 जा पहुंची है। इनमें 103 मामले अक्तूबर के पहले 20 दिनों के दौरान सामने आ चुके हैं।