किसान ना बातचीत के लिए तैयार, ना सड़कों से हटने को तैयार, हरियाणा सरकार ने कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा

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किसान ना बातचीत के लिए तैयार, ना सड़कों से हटने को तैयार, हरियाणा सरकार ने कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा

चंडीगढ़- किसान आंदोलन को आज पूरे दस महीने हो गए। किसान पिछले दस महीनों से हरियाणा, पंजाब और दिल्ली-बॉर्डरों पर सड़कों के बीचों-बीच बैठकर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान आंदोलन के कारण हरियाणा-दिल्ली के बॉर्डरों जैसे सिंधु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर पर पुलिस ने नाकेबंदी लगाई हुई है जिसके कारण दिल्ली-हरियाणा के बॉर्डरों के आस-पास रहने या काम करने वाले लोगों को खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई महीनों से लगातार जाम की समस्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी कि इन बॉर्डरों को जल्द से जल्द खोला जाए। इसी याचिका पर पिछले दिनों कोर्ट ने राज्य सरकारों से किसान आंदोलन की रिपोर्ट मांगी थी।

किसान ना बातचीत के लिए तैयार, ना सड़कों से हटने को तैयार, हरियाणा सरकार ने कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा

हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन का हलफनामा दाखिल किया। खट्टर सरकार ने हलफनामे में कोर्ट को बताया कि सरकार किसानों को समझाने का प्रयास कर रही है, पर किसान बात सुन ही नहीं रहे। किसान आंदोलन के मुद्दे और किसानों के साथ विचार-विमर्श करने के लिए खट्टर सरकार ने एक राज्य स्तरीय समिति का गठन भी किया था, जिसने किसानों के साथ 19 सितंबर को मुरथल में एक मीटिंग रखी थी, पर किसान बातचीत के लिए आए ही नहीं।

राज्य स्तरीय समिति का गठन 15 सितंबर को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में किया गया था। राज्य सरकार का कहना है कि वे किसानों को समझाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं और जल्द से जल्द अंतरराज्यीय सड़कों और राष्ट्रीय राजमार्गों को खोलने की भी कोशिश कर रहे हैं।

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