लाकडाउन में जहां हर कोई घरों में रहने को मजबूर है वहीं किसी भी मरीज को अस्पताल आने या अस्पताल से जाने में तकलीफ न हो इसके लिए एम्बुलेंस कर्मचारी दिन रात एक किए हुये हैं।एम्बुलेंस सेवा के जिले के नोडल अधिकारी एस के शर्मा ने बताया वर्तमान में जनपद में लोगों के लिए ३७ -108 ३८- 102 और०४ एएलएस लाईफ सर्पोट सिस्टम सेवा निशुल्क उपलब्ध है। जिले में अभी हमारे टोटल ७९ एम्बुलेंस हैं। जो 24 घंटे लोगों की सेवा के लिए गई हैं।
वहीं सेवा प्रदाता संस्था जीवीकेईएमआरआई के राज्य प्रमुख किशोर नायडू ने बताया कि एम्बुलेंस कर्मचारी और इमरजेंसी रिस्पांस सेंटर की टीम लोगों की सेवा के लिए युद्धस्तर पर अपनी सेवाएं दे रही है। लाकडाउन में बेहतर एम्बुलेंस सेवा से जहां कोरोना के प्रकोप से बचने में मदद मिल रही है वहीं हार्टअटैक या एक्सिडेंट समेत अन्य आपातकालीन समस्यों से निपटने में लोगों की हर संभव मदद की जा रही है। उन्होने कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है हमारे सभी कर्मचारी स्वेछाभाव से एक योद्धा के रूप में सेवाएं दे रहे हैं।
इसके लिए सभी कर्मचारियों का बहुत- बहुत धन्यवाद। उन्होने बताया कि वायरस कोविड.19 के प्रोटोकाल के मुताबिक कालसेंटर में कर्मचारियों के बीच की दूरी बढा दी गई है। फील्ड में जाने वाले एम्बुलेंस कर्मचारी कोविड-19 के प्रोटोकाल को पूरी तरह फ ालो कर रहे हैं। जीवीकेईएमआरआई के राज्य प्रमुख ने बताया कि वर्तमान में यूपी में एम्बुलेंस सेवा 108 की 2200, एम्बुलेंस सेवा 102 की 2270 और एएलएस की 250 एम्बुलेंस 24 घंटे अपनी निशुल्क सेवा दे रही हैं।
दिव्यांग भी निभा रहे अहम भूमिका
संस्था के काल सेंटर में करीब 12 दिव्यांग कर्मचारी हैं। खास बात यह सभी कर्मचारी हर दिन अपनी ड्यूटी पर आ रहे हैं। कर्मचारियों ने बताया कि हमें छुट्टी लेने के लिए कहा गया था लेकिन किसी भी दिव्यांग कर्मचारी ने छुट्टी नहीं ली। कुलदीपए ;दिव्यांगद्ध ने बताया कि इस समय छुट्टी लेकर घर बैठ जाना ही शर्म की बात है।
लोगों को आज मेरी जरूरत है। मैं स्वेच्छा से अपना कार्य कर रहा हूं। लोग घरों में हैं और मैं काम कर रहा हूं। यह मेरे लिए गर्व की बात है। वहीं मनवीरए ;दिव्यांगद्ध ने बताया कि मुझे पता चला कि लाक डाउन के कारण बहुत से लोग काल सेंटर नहीं पहुंच पा रहे हैं। ये जानते हुए मैं अपनी ड्यूटी जारी रखने का निर्णय लिया और ऐसे समय में लोगों की मदद करके अच्छा लग रहा है।
सचमुच के हैं योद्धा
पहले डर लग रहा था लेकिन अब कोई डर नहीं लगता है। हम सभी यहां 24 घंटे कार्य कर रहे हैं। ऐसे कठिन समय में हमें लोगों की मदद करने का मौका मिला है यह हमारे लिए एक सौभाग्य की बात है।
निर्मलआर्या -ईआरओ
सभी लोग घर पर हैं और हम यहां काल सेंटर में ड्यूटी कर रहे हैं। अब तो आर्मी वाली फीलिंग आ रही है ऐसा लग रहा है कि हम बार्डर पर हैं। लोगों को सेवाएं देते हुए गर्व की अनुभूति हो रही है।
हर्ष चौधरी, ईआरओ
मरीज भी हैं संतुष्ट
मेरी पत्नी सीढी से गिर गईं। लाकडाउन में हम लोग घबरा गए कि सरकारी अस्पताल जायें तो कैसे जाएं। पुलिस सडक पर जाते ही पीटने लगती है। फिर हमारे पडोसी ने 108 पर काल किया। हाँ, कुछ ही देर में एम्बुलेंस आ गई। फिर जिला अस्पताल पहुँच पाये।
गौहर अनवार