इतिहास के पन्नों को और बारीकी से पढ़ा जाना चाहिए- NMML सोसायटी की वार्षिक बैठक में पीएम मोदी

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पीएम मोदी ने आज नई दिल्ली में NMML सोसायटी की वार्षिक बैठक की अध्यक्षता की, साथ ही नई पीढ़ी में इतिहास के बारे में जागरुकता फैलाने की दी सलाह

नई दिल्ली- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार 3 जनवरी को नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय (NMML) की वार्षिक बैठक की अध्यक्षता की। बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने शोध और युवाओं में बौद्धिकता को प्रोत्साहित करने तथा इतिहास को अधिक रुचिकर बनाने पर जोर दिया।

पीएम मोदी ने युवाओं के बीच प्रधानमंत्री-संग्रहालय को और अधिक लोकप्रिय बनाने के उपायों पर भी चर्चा की। बैठक में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने व्यक्तियों, संस्थानों और विषयों दोनों के संदर्भ में आधुनिक भारतीय इतिहास पर शोध के दायरे को व्यापक बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि भारत के अतीत के बारे में लोगों में बेहतर जागरूकता पैदा की जा सके। प्रधानमंत्री ने वर्तमान के साथ-साथ भावी पीढ़ियों के लाभ के लिए अपनी अच्छी तरह से लेखापरीक्षित और शोधित स्मृति दर्ज करने के लिए सामान्य रूप से देश में संस्थानों की आवश्यकता पर बल दिया।

प्रधानमंत्री संग्रहालय के डिजाइन और सामग्री पर संतोष व्यक्त करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यह संग्रहालय वास्तव में उद्देश्यपूर्ण और राष्ट्र-केंद्रित है, व्यक्ति-केंद्रित नहीं है, और यह न तो अनुचित प्रभाव से और न ही किसी आवश्यक तथ्यों के अनुचित अभाव से ग्रस्त है। भारत के सभी प्रधानमंत्रियों की उपलब्धियों और योगदानों को उजागर करने वाले संग्रहालय के संदेश को लोगों तक पहुंचाने के लिए, श्री मोदी ने देश भर के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में इसकी सामग्री के बारे में प्रतियोगिताओं का आयोजन करके युवाओं के बीच संग्रहालय को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि निकट भविष्य में संग्रहालय भारत और दुनिया से दिल्ली आने वाले पर्यटकों के लिए एक मुख्य आकर्षण के रूप में उभरेगा। उन्होंने आगे बताया कि 1875 में आर्य समाज के संस्थापक और आधुनिक भारत के सबसे प्रभावशाली सामाजिक और सांस्कृतिक शख्सियतों में से एक स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती 2024 में आ रही है, श्री नरेन्द्र मोदी ने देश के इस महान दूरदर्शी और समाज सुधारक के योगदान के साथ-साथ 2025 में अपने अस्तित्व के 150 साल पूरे करने जा रहे आर्य समाज के बारे में अच्छी तरह से शोध करके ज्ञान का सृजन करने के लिए देश भर के शैक्षणिक और सांस्कृतिक संस्थानों का आह्वान किया।