
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत किसी भी अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौते (FTA) को अपने राष्ट्रीय हितों से ऊपर नहीं रखता और किसी भी तय समयसीमा के दबाव में आकर निर्णय नहीं करेगा। उनका यह बयान भारत की वैश्विक आर्थिक नीति में आत्मविश्वास, संप्रभुता और दूरदृष्टि को दर्शाता है। गोयल ने कहा, हम बातचीत आत्मविश्वास के साथ, मजबूती से और केवल राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए करते हैं। हम डेडलाइन के दबाव में नहीं आते, हमारे लिए भारत का हित सर्वोपरि है।
यूपीए पर सीधा हमला
पीयूष गोयल ने पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर भी निशाना साधा और कहा कि पिछली सरकारों ने ऐसे कई व्यापारिक समझौते किए जो देश के दीर्घकालिक हित में नहीं थे। यह वह कमजोर भारत नहीं है जो कांग्रेस के समय में था। आज हम आत्मनिर्भर हैं और किसी भी देश से प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हैं।
अमेरिका समेत कई देशों से चल रही FTA वार्ता
मंत्री ने बताया कि मोदी सरकार के दौरान भारत ने मॉरिशस, यूएई, ऑस्ट्रेलिया, और यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन (EFTA) के देशों – स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन के साथ सफलतापूर्वक FTA साइन किए हैं। इसके अलावा अमेरिका, यूरोपीय संघ, ओमान, पेरू और चिली के साथ भी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा कि इन सभी वार्ताओं में भारत की प्राथमिकता स्पष्ट है – देश का दीर्घकालिक हित और आत्मनिर्भरता।
कांग्रेस का हमला और जवाब
इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस पुराने बयान को लेकर सवाल उठाया जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने भारत-पाक तनाव कम कराने में भूमिका निभाई थी।
कांग्रेस ने यह भी सवाल किया कि क्या अमेरिका भारत पर 9 जुलाई तक FTA साइन करने का दबाव बना रहा है?
गोयल ने इन आशंकाओं को पूरी तरह खारिज करते हुए दोहराया कि भारत किसी के दबाव में नहीं है और केवल तभी समझौता करेगा जब वह पूरी तरह आश्वस्त होगा कि वह भारत के हित में है।
पीयूष गोयल का यह बयान सिर्फ एक राजनीतिक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक स्पष्ट नीति संकेत है – नया भारत आत्मविश्वासी है, संप्रभु है, और किसी भी वैश्विक मंच पर अपने राष्ट्रीय हितों के साथ खड़ा रह सकता है। देश अब जल्दबाज़ी में नहीं, बल्कि सोच-समझकर वैश्विक फैसले ले रहा है।