एक मां के लिए संसार में बच्चों से बढ़कर कुछ नहीं होता। बात जब संकट की हो तो ऐसे समय मां अपने बच्चों को एक पल भी नजरों से दूर नहीं होने देती। लेकिन, इसी मां का दूसरा रूप त्याग और तपस्या का भी होता है। आज जब पूरे देश पर कोरोना जैसी महामारी का साया है, समूची मानवजाति पर संकट है तो ऐसे में ‘ममता’ का दूसरा रूप देखने को मिल रहा है।
इनमें वे मां भी शामिल हैं जिनके बच्चे छोटे-छोटे हैं लेकिन, उनके लिए आज मानवसेवा सर्वोपरि है। वे अपना परिवार, बच्चे सब छोड़कर अस्पताल में कोरोना संक्रमितों और पीड़ितों की सेवा में जुटी हुई हैं। उनका एकमात्र लक्ष्य कोरोना से देश को बचाना है। ऐसी ही मां हैं मप्र के भोपाल की जयप्रकाश जिला अस्पताल की स्टाफ नर्स आकांक्षा सिंह,
जो इन दिनों 12 से 14 घंटे तक अस्पताल को समय दे रही हैं। 7 अप्रैल को मनाए जाने वाले 72वें ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’ पर डब्लूएचओ इस वर्ष उन नर्सों और मिडवाइव्स के योगदान को सम्मान दे रहा है, जो कोडिव-19 की जंग के खिलाफ दुनिया को स्वस्थ रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इस दिन को डब्लूएचओ ने ‘सपोर्ट नर्सेज एंड मिडवाइव्स’ थीम से संबोधित किया है।
कोरोनावायरस की लड़ाई में जीत हासिल करने के लिए जिस तरह देश-दुनिया के डॉक्टर्स लगे हुए हैं, उसमें इन नर्सेज और मिडवाइव्स का भी कम योगदान नहीं है। डब्ल्यूएचओ की थीम पर जेपी जिला अस्पताल में पदस्थ स्टाफ नर्स आकांक्षा सिंह, देवास जिला अस्पताल में कार्यरत स्टाफ नर्स रश्मि पेंढारकार जैसी मानवसेवी के रूप में मिसाल हैं।