11 मार्च : जापान में सुनामी ने तबाही मचाई, 15 हजार से ज्यादा की मौत

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इतिहास में 11 मार्च की तारीख पर जो घटनाएं दर्ज हैं उनमें जापान में आया भीषण भूकंप और उसके बाद समुद्र में उठी प्रलंयकारी सुनामी सबसे प्रमुख है। वह 11 मार्च 2011 का दिन था, जब जापान में प्रशांत तट पर तोहोकू के पास समुद्र में रिक्टर पैमाने पर 9 तीव्रता के भीषण भूकंप के बाद सुनामी ने भयंकर तबाही मचाई और 15 हजार से ज्यादा लोगों की मौत के साथ ही संपत्ति का भारी नुकसान हुआ।

यह जापान के इतिहास का अब तक का सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इस दिन की अन्य घटनाओं की बात करें तो 1881 में 11 मार्च को कलकत्ता के टाउन हॉल में रामनाथ टैगोर की प्रतिमा लगाई गई और यह पहला मौका था जब किसी भारतीय की प्रतिमा को सार्वजनिक स्थान पर स्थापित किया गया। 1948 में 11 मार्च को देश के पहले आधुनिक पोत ‘जलऊषा’ का विशाखापत्तनम बंदरगाह से जलावतरण किया गया।

देश दुनिया के इतिहास में 11 मार्च की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-

1689 : मुगल बादशाह औरंगजेब ने शिवाजी के पुत्र संभाजी को यातनाएं देकर मौत के घाट उतारा।
1881 : कलकत्ता टाउन हाल में रामनाथ टैगोर की प्रतिमा लगाई गई। यह पहला मौका था जब किसी भारतीय की प्रतिमा को सार्वजनिक स्थल पर स्थापित किया गया।
1948 : देश के प्रथम पोत जल ऊषा का विशाखापत्तनम से जलावतरण। इसे उस समय की तमाम उपलब्ध आधुनिक प्रणालियों से लैस किया गया था।
1985 : कोंस्तान्तिन चेरेंकों की मौत के बाद मिखाइल गोर्बाच्योफ को सोवियत संघ का सर्वोच्च नेता चुना गया।
1990 : संसद में मतदान के बाद लिथुआनिया ने खुद को सोवियत संघ से स्वतंत्र घोषित किया। ऐसा करने वाला वह पहला सोवियत गणराज्य था।
1996 : ईरान ने सैटेनिक वर्सेज किताब के लेखक सलमान रुश्दी के ख़िलाफ़ जारी किया गया फ़तवा वापस ले लिया।
2004 : स्पेन में तीन रेलवे स्टेशनों पर हुए बम विस्फोटों में 190 लोगों की मौत, 1200 अन्य घायल।
2008 : अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने यान एंडेवर को अपने अंतरिक्ष स्टेशन की ओर रवाना किया।
2011 : भारत ने 350 किलोमीटर दूर तक का निशाना साधने वाले प्रक्षेपास्त्र ‘धनुष’ और ‘पृथ्वी’ का सफल परीक्षण किया।
2011 : जापान में प्रशांत तट पर तोहोकू के पास समुद्र में रिक्टर पैमाने पर 9 तीव्रता के भीषण भूकंप के बाद सुनामी ने भयंकर तबाही बचाई और 15 हजार से ज्यादा लोगों की मौत के साथ ही भारी नुकसान हुआ। यह जापान के इतिहास का अब तक का सबसे शक्तिशाली भूकंप था।