Mann Ki Baat: पीएम मोदी बोले- अप्रैल के महीने में हम महात्मा फुले और बाबा साहब अंबेडकर की जयंती मनाएंगे

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देश में आज़ादी का अमृत महोत्सव, अब जन भागीदारी की नई मिसाल बन रहा है। कुछ दिन पहले 23 मार्च को शहीद दिवस पर देश के अलग – अलग कोने में अनेक समारोह हुए। देश ने अपनी आज़ादी के नायक- नायिकाओं को याद किया श्रद्धा पूर्वक याद किया। इसी दिन मुझे कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में बिप्लॉबी भारत गैलरी के लोकार्पण का भी अवसर मिला। भारत के वीर क्रांतिकारियों को श्रद्धांजली देने के लिए यह अपने आप में बहुत ही अनूठी गैलरी(gallery) है। यदि अवसर मिले, तो आप इसे देखने ज़रूर जाइयेगा। साथियो, Imageअप्रैल के महीने में हम दो महान विभूतियों की जयंती भी मनाएंगे। इन दोनों ने ही भारतीय समाज पर अपना गहरा प्रभाव छोड़ा है। ये महान विभूतियाँ हैं- महात्मा फुले और बाबा साहब अम्बेडकर। महात्मा फुले की जयंती 11 अप्रैल को है और बाबा साहब की जयंती हम 14 अप्रैल को मनाएंगे। इन दोनों ही महापुरुषों ने भेदभाव और असमानता के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ी। महात्मा फुले ने उस दौर में बेटियों के लिए स्कूल खोले, कन्या शिशु हत्या के खिलाफ आवाज़ उठाई। उन्होंने जल – संकट से मुक्ति दिलाने के लिए भी बड़े अभियान चलाये।

महात्मा फुले की इस चर्चा में सावित्रीबाई फुले जी का भी उल्लेख उतना ही ज़रूरी है। Imageसावित्रीबाई फुले ने कई सामाजिक संस्थाओं के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाई। एक शिक्षिका और एक समाज सुधारक के रूप में उन्होंने समाज को जागरूक भी किया और उसका हौंसला भी बढाया। दोनों ने साथ मिलकर सत्यशोधक समाज की स्थापना की। जन-जन के सशक्तिकरण के प्रयास किए। हमें बाबा साहब अम्बेडकर के कार्यों में भी महात्मा फुले के प्रभाव साफ़ दिखाई देते हैं। वो कहते भी थे कि किसी भी समाज के विकास का आकलन उस समाज में महिलाओं की स्थिति को देख कर किया जा सकता है। महात्मा फुले, सावित्रीबाई फुले, बाबा साहब अम्बेडकर के जीवन से प्रेरणा लेते हुए, मैं सभी माता –पिता और अभिभावकों से अनुरोध करता हूँ कि वे बेटियों को ज़रूर पढ़ायें। बेटियों का स्कूल में दाखिला बढ़ाने के लिए कुछ दिन पहले ही कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव भी शुरू किया गया है, जिन बेटियों की पढाई किसी वजह से छूट गई है, उन्हें दोबारा स्कूल लाने पर फोकस(focus) किया जा रहा है।

ये हम सभी के लिए सौभाग्य की बात है कि हमें बाबासाहेब से जुड़े पंच तीर्थ के लिए कार्य करने का भी अवसर मिला है। उनका जन्म-स्थान महू हो, मुंबई में चैत्यभूमि हो, लंदन का उनका घर हो, नागपुर की दीक्षा भूमि हो, या दिल्ली में बाबासाहेब का महा-परिनिर्वाण स्थल, मुझे सभी जगहों पर, सभी तीर्थों पर जाने का सौभाग्य मिला है। Imageमैं ‘मन की बात’ के श्रोताओं से आग्रह करूँगा कि वे महात्मा फुले, सावित्रीबाई फुले और बाबासाहेब अम्बेडकर से जुड़ी जगहों के दर्शन करने जरुर जाएँ। आपको वहाँ बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।

मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में इस बार भी हमने अनेक विषयों पर बात की। अगले महीने बहुत से पर्व-त्योहार आ रहे हैं। कुछ ही दिन बात ही नवरात्र है। नवरात्र में हम व्रत-उपवास, शक्ति की साधना करते हैं, शक्ति की पूजा करते हैं, यानी हमारी परम्पराएं हमें उल्लास भी सिखाती हैं और संयम भी। संयम और तप भी हमारे लिए पर्व ही है, इसलिए नवरात्र हमेशा से हम सभी के लिए बहुत विशेष रही है। नवरात्र के पहले ही दिन गुड़ी पड़वा का पर्व भी है। अप्रैल में ही Easter भी आता है और रमजान के पवित्र दिन भी शुरू हो रहे हैं। हम सबको साथ लेकर अपने पर्व मनाएँ, भारत की विविधता को सशक्त करें, सबकी यही कामना है।