
ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता को नई दिशा देने के लिए उत्तराखंड सरकार “जल सखी योजना” की शुरुआत करने जा रही है। यह योजना पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की जा रही है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों की पेयजल व्यवस्था महिला स्वयं सहायता समूहों (SHG) के हाथों में सौंपी जाएगी।
इस योजना के जरिए महिलाओं को न केवल घर के पास रोजगार मिलेगा, बल्कि वे गांव की पेयजल व्यवस्थाओं में अहम भूमिका भी निभाएंगी। योजना की पूरी रूपरेखा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल पर तैयार की गई है।
क्या है ‘जल सखी योजना’?
जल सखी योजना के अंतर्गत महिला स्वयं सहायता समूहों को निम्न जिम्मेदारियाँ सौंपी जाएंगी
- पेयजल कनेक्शन देना
- बिल वितरण व वसूली
- पाइपलाइन और जल योजनाओं के रखरखाव की रिपोर्टिंग
- पानी की गुणवत्ता जांचना (टेस्टिंग किट के साथ)
महिला समूहों को इस कार्य के लिए विशेष रूप से “नल जल मित्र” के रूप में प्रशिक्षित भी किया जाएगा।
योजना के तहत हर महिला समूह को प्रत्येक बिल पर ₹10 का प्रोत्साहन दिया जाएगा। यानी अब गांवों की महिलाएं सिर्फ पानी पहुंचाने का काम नहीं करेंगी, बल्कि इससे रोजगार और आर्थिक सशक्तिकरण का रास्ता भी खुलेगा।
‘लखपति दीदी’ के बाद अब ‘जल सखी’
बता दें कि मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में 2022 में शुरू की गई लखपति दीदी योजना के अंतर्गत अब तक 1.63 लाख महिलाएं सालाना ₹1 लाख से अधिक आय अर्जित करने वाली बन चुकी हैं। उसी मॉडल को आगे बढ़ाते हुए अब ‘जल सखी योजना’ से स्वच्छ जल और महिला सशक्तिकरण दोनों लक्ष्यों को एक साथ साधने की तैयारी है। पायलट योजना से शुरुआत, पूरे राज्य में विस्तार की तैयारी फिलहाल यह योजना कुछ जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू की जाएगी। सफलता के बाद इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा।
‘जल सखी योजना’ न सिर्फ पेयजल सेवाओं को सुदृढ़ करेगी, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक आज़ादी की नई राह भी देगी। यह कदम आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक सशक्त प्रयास माना जा रहा है।