अफगान लड़ाकों की घुसपैठ से पाकिस्तान में मचा हड़कंप, सेना के टैंक और हथियार कब्जे में — शहबाज सरकार ने मांगी सऊदी-कतर से मदद

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पाकिस्तान में हाल ही में अफगानिस्तान से आए लड़ाकों की बढ़ती सक्रियता ने देश की सुरक्षा व्यवस्था को हिला कर रख दिया है। अफगान लड़ाकों ने सीमा के कई इलाकों में घुसपैठ कर पाकिस्तान सेना के टैंकों और हथियारों पर कब्जा कर लिया है। इन घटनाओं के बाद पाकिस्तानी सेना और सरकार दोनों पर भारी दबाव बढ़ गया है।

सूत्रों के अनुसार, अफगान लड़ाके लगातार सीमा पार से पाकिस्तानी चौकियों और सैन्य ठिकानों पर हमले कर रहे हैं। कुछ क्षेत्रों में उन्होंने सेना के टैंकों और अन्य भारी हथियारों को अपने कब्जे में ले लिया है। इस वजह से पाकिस्तान सेना को अप्रत्याशित नुकसान उठाना पड़ा है और सीमा की स्थिति बेहद तनावपूर्ण हो गई है।

इन घटनाओं के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सऊदी अरब और कतर से सैन्य और आर्थिक मदद मांगी है। सरकार का कहना है कि देश अपनी सीमाओं की सुरक्षा मजबूत करने और आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की कोशिश कर रहा है।

पाकिस्तानी सेना ने इस स्थिति से निपटने के लिए सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी है। अतिरिक्त सैनिक तैनात किए गए हैं और हवाई एवं जमीनी अभियानों की रणनीति तैयार की जा रही है। सेना ने संभावित घुसपैठ वाले इलाकों में सतर्कता बढ़ाने के आदेश दिए हैं।

अफगान लड़ाकों की इन गतिविधियों ने पाकिस्तान की राजनीतिक और सुरक्षा स्थिति को और जटिल बना दिया है। विपक्षी दलों और सुरक्षा विशेषज्ञों ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सीमा निगरानी और आतंकवाद नियंत्रण में गंभीर कमियां हैं।

स्थानीय लोगों में डर का माहौल है। कई गांवों और कस्बों के निवासी सुरक्षा कारणों से पलायन कर रहे हैं। लोगों को डर है कि हालात और बिगड़ने पर सीमा के पास बसे इलाकों में भारी तबाही हो सकती है।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी इस स्थिति पर चिंता जताई है। सुरक्षा विश्लेषकों का कहना है कि यह घटना दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए गंभीर खतरा बन सकती है। उनका मानना है कि अगर पाकिस्तान ने जल्द ठोस कार्रवाई नहीं की, तो सीमा पार से और बड़े पैमाने पर हमले हो सकते हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तान को अपनी सैन्य रणनीति के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय सहयोग को भी मजबूत करना होगा। शहबाज सरकार द्वारा सऊदी अरब और कतर से सहायता लेने का निर्णय फिलहाल संकट को नियंत्रित करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

अफगान लड़ाकों की बढ़ती गतिविधियों ने पाकिस्तान की सुरक्षा और राजनीतिक अस्थिरता को गहरा कर दिया है, और आने वाले दिनों में पूरी दुनिया की नजरें इस संकटग्रस्त क्षेत्र पर टिकी रहेंगी।