
भारत न 41 वर्षों बाद मानव अंतरिक्ष मिशन में ऐतिहासिक वापसी कर ली है। लखनऊ के रहने वाले शुभांशु शुक्ला ने बुधवार को एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरिक्ष की ऐतिहासिक उड़ान भरते हुए देश को एक गौरवपूर्ण क्षण दिया। उन्होंने न सिर्फ वैज्ञानिक इतिहास रचा, बल्कि सांस्कृतिक स्तर पर भी भारत को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष मंच पर नई पहचान दिलाई।
स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट ने बुधवार दोपहर 12:01 बजे (भारतीय समय) फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरी। इस ऐतिहासिक मिशन में भारत के अलावा अमेरिका, हंगरी और पोलैंड के अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं। शुभांशु शुक्ला के साथ उड़ान भरने वालों में अमेरिका की अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोस उजनांस्की-विस्निएव्स्की और हंगरी के टिबोर कपू शामिल हैं।
भारत के लिए भावुक संदेश
जैसे ही रॉकेट पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा, शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष से तिरंगा लहराते हुए कहा, नमस्कार मेरे प्यारे देशवासियों, 41 साल बाद हम अंतरिक्ष में पहुंचे हैं। मेरी कंधों पर तिरंगा है, जो मुझे यह एहसास दिलाता है कि मैं अकेला नहीं, 140 करोड़ भारतीयों के साथ हूं। उनके इस संदेश ने पूरे देश को गौरव और गर्व से भर दिया। लखनऊ में शुभांशु के परिवार और सिटी मॉन्टेसरी स्कूल के छात्र इस पल के गवाह बने और लाइव लॉन्च देखकर भावुक हो उठे।
चारों अंतरिक्ष यात्रियों ने अपने स्पेसक्राफ्ट का नाम ‘ग्रेस’ (GRACE) रखा है। मिशन के दौरान वे 14 दिन इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर रहेंगे और 60 वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे। लेकिन यह मिशन केवल विज्ञान तक सीमित नहीं है यह देशों की सांस्कृतिक पहचान को भी अंतरिक्ष तक ले गया है।
शुभांशु शुक्ला अपने साथ भारतीय करी, चावल और आम का रस लेकर गए हैं। हंगरी से भेजा गया है स्पाइसी पपरिका पेस्ट, और पोलैंड से फ्रीज-फ्राइड पिरोगीज।
शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा 1984 में राकेश शर्मा की उड़ान के 41 साल बाद भारत की मानव अंतरिक्ष यात्रा में दूसरा महत्वपूर्ण अध्याय है। अंतरिक्ष में जाने से पहले उन्होंने कहा था, मैं अंतरिक्ष जा रहा हूं, लेकिन यह यात्रा मेरी नहीं, 140 करोड़ भारतीयों की है। मेरा सपना है कि इससे देश के युवाओं में विज्ञान के प्रति उत्सुकता बढ़े।
ऐसा माना जा रहा है कि शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी संवाद कर सकते हैं। यह संभावित संवाद न केवल वैज्ञानिक महत्व रखेगा, बल्कि भारत की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताओं और युवा शक्ति को अंतरराष्ट्रीय मंच पर रेखांकित करेगा। शुभांशु शुक्ला की यह उड़ान भारत के लिए सिर्फ एक मिशन नहीं, बल्कि सपनों की उड़ान है। यह दिखाता है कि भारत अब केवल अंतरिक्ष की दौड़ में भागीदार नहीं, बल्कि नेतृत्वकर्ता बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है। विज्ञान, संस्कृति और आत्मविश्वास से भरी इस यात्रा ने 140 करोड़ भारतीयों के दिल को छू लिया है।