
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के 13 दिन बाद भारत ने आतंक के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को एयर स्ट्राइक कर ध्वस्त कर दिया है। इस हाई-प्रिसिजन ऑपरेशन ने आतंकवादियों की कमर तोड़ने का काम किया है और भारत की सुरक्षा नीति में एक निर्णायक बदलाव का संकेत दिया है।
क्या है ऑपरेशन सिंदूर?
सूत्रों के अनुसार, यह एक सर्जिकल एयर ऑपरेशन था, जिसमें भारत ने उन ठिकानों को निशाना बनाया जहां पाकिस्तानी सेना और ISI द्वारा प्रशिक्षित आतंकवादी सक्रिय रूप से तैयार किए जा रहे थे। इन ठिकानों में से चार पाकिस्तान में और पांच पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित थे। बताया जा रहा है कि इन शिविरों में SSG (Special Services Group) के माध्यम से आतंकियों को विशेष ट्रेनिंग दी जा रही थी।
भारतीय सेना की इस कार्रवाई पर विपक्षी पार्टी कांग्रेस की ओर से भी सकारात्मक और समर्थनात्मक प्रतिक्रियाएं आई हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर राजनीतिक एकता की मिसाल बन रही हैं।
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए भारतीय सेना पर गर्व जताया और कहा कि देश की रक्षा के लिए किया गया हर कदम सराहनीय है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, “हमें अपनी सशस्त्र सेनाओं पर गर्व है। आतंक के अड्डों को ध्वस्त कर उन्होंने राष्ट्र को सुरक्षित रखने का कार्य किया है।”
जयराम रमेश ने कांग्रेस का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि, “यह समय है एकता और एकजुटता का। कांग्रेस सरकार के इस कदम का समर्थन करती है और सेना के साथ मजबूती से खड़ी है।”
कूटनीतिक संकेत और रणनीतिक संदेश
विशेषज्ञों का मानना है कि ऑपरेशन सिंदूर न सिर्फ एक जवाबी कार्रवाई थी, बल्कि इससे भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर यह स्पष्ट संदेश भी दिया है कि वह अब सिर्फ बचाव नहीं, निर्णायक जवाबी कार्रवाई में विश्वास रखता है। यह ऑपरेशन बालाकोट स्ट्राइक और उरी हमले के बाद भारत की ओर से आतंकवाद के खिलाफ उठाया गया एक और बड़ा सैन्य कदम माना जा रहा है।
जनता की प्रतिक्रिया और राष्ट्रीय भावना
ऑपरेशन सिंदूर के बाद सोशल मीडिया पर भी राष्ट्रवाद की लहर दिखाई दी। आम नागरिकों ने सेना की सराहना की और कहा कि अब समय आ गया है कि आतंक को जड़ से खत्म किया जाए।
भारत की राजनीतिक पार्टियों, सेना और नागरिकों द्वारा दिखाई गई एकजुटता, यह संकेत देती है कि अब देश आतंकवाद के खिलाफ समझौता नहीं करेगा। ऑपरेशन सिंदूर, भारत की नई आक्रामक और स्पष्ट सैन्य नीति की मिसाल बन चुका है।