महाकुंभ के अलावा आखिर कहां रहते हैं नागा साधु?

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महाकुंभ में हज़ारों नागा साधु अपनी ताक़त का प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दुनिया में ऐसा कोई बंधन नहीं, अखाड़ा नहीं जो इन्हें रोक सके। हिंदु धर्म में कुल 13 अखाड़े हैं जिन्में नागा साधु बेख़ौफ़ होकर आते-जाते हैं।

अखाड़ों और सन्यासियों की ताक़त के बीच बंटे अखाड़ों में कोई नागा साधुओं की आवाजाही नहीं रोक सकता। वजह है इनकी भक्ति, इनका समर्पण और इनकी शक्ति।

आज हम नागा साधुओं से जुड़े कुछ रहस्य आपको बताएंगे जो आपको हैरान कर देंगे। महाकुंभ के अलावा, नागा साधु कहां रहते हैं, क्या करते हैं, क्या खाते हैं, क्या पीते हैं, इनसे जुड़ी हर बात किसी रहस्य से कम नहीं है। वजह है इनकी मौजूदगी। नागा साधुओं आपको अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में नजर नहीं आएंगे, ये सिर्फ आपको दिखेंगे तो कुंभ या महाकुंभ में।

नगा साधु कब कहां रुकते हैं, इस बात का खुलासा करने के लिए हमने कई नगा साधुओं से बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। हक़ीकत तो ये है कि नागा साधुओं के असल ठिकानों की जानकारी ज्यादातर लोगों को नहीं होती और नागा साधु इस बात की जानकारी देने को तैयार भी नहीं होते क्योंकि इनका आम जनता से ज्यादा बातचीत करना, अपने राज़ बांटना वर्जित है।

नागा साधु गंगोत्री और यमुनोत्री के इर्दगिर्द पहाड़ों में धूनी रमाकर बैठते हैं लेकिन वहां भी इनके ठिकाने स्थाई नहीं होते। मौसम बदलने के साथ-साथ ये अपना कुदरती आशियाना भी बदल लेते हैं। इसके अलावा ये हरिद्वार के घाटों, वाराणसी से कुछ किलोमीटर की दूरी पर एक विशेष आश्रम में रुकते हैं। नागा साधु कामाख्या मंदिर के पास के पहाड़ी इलाकों में भी काफी वक्त बिताते है।