अस्पताल बना हिंसा प्रभावित युवती की शादी का मेजबान

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कहते हैं जब ऊपर वाला एक रास्ता बंद करता है तो दूसरा खोल देता है। यह बात मुस्तफाबाद निवासी 19 वर्षीय रुखसार के बारे में सही साबित हुई जिसकी शादी के लिए जमा किया गया सामान व जेवरात दंगाइयों ने हिंसा में लूट लिया था। इसके बाद लड़के वालों ने मंगलवार को शादी से इंकार कर दिया था लेकिन मुस्तफाबाद का अल हिंद अस्पताल मंगलवार को उसकी शादी का मेजबान बना। रुखसार के माता पिता को एक दूसरा लड़का मिला और मंगलवार को ही उसकी शादी अस्पताल में करवाई गई।

अल हिंद अस्पताल ने हिंसा के दौरान कई घायलों का इलाज किया था और अब भी वहां घायलों का इलाज चल रहा है दंगों में अपना सब कुछ गवां चुकी रुखसा की मां परवीन ने बताया कि 24 फरवरी को दंगाई उनकी गली में घुस गए थे और जान बचाने के लिए उसे परिवार के साथ सब कुछ छोड़कर भागना पड़ा। वह बताती है कि उसने मदद के लिए पुलिस को कई बार कॉल किया लेकिन कोई मदद के लिए नहीं आया।

अपनी जान बचाने के लिए परवीन ने बच्चों के साथ दो रातों तक पड़ोसियों के घर में पनाह ली और उसके बाद पुलिस ने आकर उन्हें निकाला। तब से वह अपने बच्चों के साथ अल हिंद अस्पताल में रह रही है। नवविवाहिता रुखसार के पति फिरोज ने बताया कि जब उसे शादी के बारे में बताया गया तो वह चिंतित हो गया लेकिन फिर उसने सोचा कि जो होगा अच्छा होगा। उसके बाद उसने शादी के लिए हां कर दी। फिरोज के परिवार का फर्नीचर का काम है लेकिन वह एक निजी कंपनी में नौकरी करता है।