
गाजा में लंबे समय से जारी हिंसा और मानवीय संकट के बीच अब शांति स्थापना की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को घोषणा की कि इजरायल और हमास ने अमेरिका की मध्यस्थता में प्रस्तावित गाजा समझौते के पहले चरण पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
इस ऐतिहासिक समझौते का भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वागत किया है। उन्होंने इसे क्षेत्र में स्थायी शांति की दिशा में एक अहम उपलब्धि बताया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, हम राष्ट्रपति ट्रंप की शांति योजना के पहले चरण पर हुए समझौते का स्वागत करते हैं। यह प्रधानमंत्री नेतन्याहू के सशक्त नेतृत्व का भी प्रतीक है। हमें उम्मीद है कि इस समझौते से बंधकों की रिहाई होगी और गाजा के लोगों को मानवीय सहायता में वृद्धि से राहत मिलेगी। यह स्थायी शांति का मार्ग प्रशस्त करेगा।
मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह समझौता पश्चिम एशिया में स्थिरता और सहयोग की नई शुरुआत का संकेत है। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा संवाद और कूटनीति के माध्यम से विवादों के समाधान का समर्थक रहा है, और यह समझौता उसी दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने समझौते की घोषणा करते हुए कहा कि यह “गाजा में स्थायी शांति की दिशा में पहला ठोस कदम” है। उन्होंने बताया कि समझौते के प्रारंभिक चरण में बंधकों की सुरक्षित रिहाई, युद्धविराम, और गाजा में मानवीय सहायता बढ़ाने पर सहमति बनी है।
अंतरराष्ट्रीय समर्थन
संयुक्त राष्ट्र (UN) और यूरोपीय संघ (EU) ने भी इस समझौते का स्वागत करते हुए इसे उम्मीद की नई किरण बताया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय का मानना है कि यह पहल लंबे समय से संघर्षग्रस्त गाजा क्षेत्र में तनाव कम करने और राहत पहुंचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है।
गौरतलब है कि गाजा में पिछले कई महीनों से इजरायल और हमास के बीच संघर्ष जारी था, जिसमें हजारों लोगों की जान जा चुकी है और लाखों लोग विस्थापित हुए हैं। ऐसे में यह समझौता शांति और मानवीय राहत की दिशा में एक बड़ी पहल मानी जा रही है।
भारत की भूमिका
प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत क्षेत्रीय स्थिरता और शांति को लेकर सक्रिय और संवेदनशील भूमिका निभा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की यह कूटनीतिक स्थिति भविष्य में पश्चिम एशिया में मध्यस्थता और सहयोग के नए अवसर खोल सकती है।