आंध्र प्रदेश का रायलसीमा क्षेत्र हीरे की धरती के नाम से जाना जाता है क्योंकि यहाॅ की धरती में बहुत अधिक मात्रा में खनिज पदार्थ पाए जाते है। अधिकारियों का कहना है कि वजराकरुर, पाग दी राई, पेरावली, तुग्गाली जैसे इलाको को हीरे का खजाना माना जाता है। मानसून आने के साथ ही आंध्र प्रदेश के करनूल और अनंतपुर जैसे गाॅव के इलाको में हीरे की तलाश और तेज हो जाती है क्योंकि इन इलाको में हीरे मिलने की ज्यादा संभावनाए होती है। आस-पास के और दूर-दूर राज्यों के लोग भी यहाॅ बिना किसी तकनीकी जानकारी के हीरा तलाशने आते है।
इस बारे में जब वहाॅ के गाॅव में रहने वाले लोग और उन मजदूरों से पूछा गया जो अपना पूरा समय हीरा खोजनें में निकाल देते है तो उन्होंने बताया कि वो यहाॅ हीरा मिलने की उम्मीद में अपनी दैनिक मजदूरी छोड़ कर आते है और जब उन्हें कुछ नही मिलता है तो वे वापस लौट जाते है। वहाॅ पर कुछ लोग ऐसे भी आते है जिन्हें इस बारे में कोई जानकारी नही होती है वो सिर्फ अपनी किस्मत आजमानें आते है और जो पत्थर भी उन्हें अलग लगता है उसे हीरा समझ के रख लेते है। यहाॅ के लोग ज़मीन पर पड़ने वाली सूरज या चांद की किरणों के प्रतिबिंब के आधार पर ही हीरा ढूंढने की जगह का चुनाव करते हैं।इन लोगो का मानना है कि कार्बन डाइऑक्साइड कहलाने वाला पत्थर जिस जगह भी मिलता है वहां हीरे पाए जाते हैं इसलिए उसी इलाके के आस-पास हीरे खोजते हैं।
बता दें कि इस पत्थर के आधार पर ही अंग्रेजों ने भी यहां हीरों की खुदाई की थी। इन इलाको में हीरे मिलने की कई कहाॅनिया भी सुनने को मिलती है लोगो का ये मानना है कि प्राकृतिक आपदाओं के चलते जमीन के अंदर जो उथल- पुथल होती है। उससे हीरे जमीन की सतह पर आ जाते है। जो बारिश के बाद दिखाई देते है।
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