‘हिंदू-मुस्लिम के पुरखे एक थे ‘… RSS चीफ ने फिर से एकता करने आह्वान चालू किया है
हिंदू-मुस्लिम-RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ) मुसलमानों और हिंदुओं को एक करने में लगातार कोशिशें कर रहा है। उसकी यह मंशा RSS चीफ मोहन भागवत के बयानों से साफ जाहिर होता है। कि वो बार-बार एक ही बात पर जोर दे रहे हैं कि हिंदू-मुसलमान कभी अलग हैं ही नहीं, हिंदू-मुसलमान एक ही हैं, सिर्फ पूजा पद्धति अलग है। मोहन भागवत ने सोमवार को फिर अपनी बात दुबारा दुहराई और कहा कि हिंदुओं और मुसलमानों के पुरखे एक ही थे और हर भारतीय ‘हिंदू’ और भारतीय मुसलमान है।
ऐसे में लोगो के मन में ये सवाल उठता है कि संघ की सोच बदल गयी है या फर वो कुछ नए रणनीति के तहत कुछ बदलाव करना चाहते है क्या संघ का आह्वान उन लोगों के दिलों तक सही रूप में पहुंच पा रहा है या नहीं? अब सवाल ये है कि संघ की रणनीति को किस विचार से देख रहे हो और समाज संघ की किस दृष्टि से देख रहा है| इस संघ के सवालों का जवाव मिलना इस लिए जरुरी भी है कि यह कोई छोटा मोटा मुद्दा नहीं है ये एक राष्टीय हित के लिए एक गंभीर मुद्दा है आइए जानते है कि पहले आरएसएस और इस संघ ले मुख्य संचालक मोहन भगवत के कुछ बयानों पर गौर करें और फिर देखेंगे कि उन्हें किस तरह की प्रतिक्रिया मिल रही है।
हिंदू-मुस्लिम पहले से ही एक, एकता की बातें भ्रामक: भागवत
आरएसएस प्रमुख भी हिंदू-मुस्लिम एकता की संभावना से परेशान हैं। क्या वे स्वीकार करते हैं कि जब दो नहीं हैं, तो उस समय एक होने या करने का विषय कहाँ से आता है? वह कहते हैं, ‘हिंदू-मुस्लिम एकजुटता की चर्चा इस तथ्य के आलोक में भ्रामक है कि वे असतत नहीं हैं, फिर भी एक हैं। सभी भारतीयों का डीएनए कुछ ऐसा ही है,
चाहे वह किसी भी धर्म का हो।’ वह वैसे ही ईमानदारी से भारत पर हिंदू अतुलनीय गुणवत्ता के भय पर प्रतिक्रिया करता है। उन्होंने कहा, ‘हम लोकप्रिय सरकार में हैं।यहां हिंदुओं या मुसलमानों का प्रभुत्व नहीं हो सकता। यहां केवल भारतीयों का वर्चस्व हो सकता है।’ लिंचिंग के मुद्दे पर भी वो यहां तक कहते हैं कि ऐसे लोग हिंदू हो ही नहीं सकते। लेकिन, सवाल है कि क्या आरएसएस चीफ की इन अपीलों और आश्वासनों का असर भी हो रहा है या आज के माहौल में उनकी ये बातें ‘नक्कारखाने में तूती की आवाज’ बनकर रह जा रही है। ऐसे सवालों के जवाब पाने से पहले मोहन भागवत के बड़े-बड़े बयानों को जान लें…