सुप्रीम कोर्ट का सवाल राज्यों से, 50%से अधिक हो सकता है आरक्षण ?
मराठा आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। सोमवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए सभी राज्यों को नोटिस जारी किया गया तथा नोटिस के द्वारा पूछा गया कि क्या आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ाई जा सकती है? अब इस सुनवाई को 15 मार्च तक के लिए टाल दिया गया है। आज सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि 15 मार्च से लगातार इस मामले पर सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरक्षण के मामले पर सभी राज्यों को सुनना अनिवार्य है।
आज जो सुनवाई हुई उसमें वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस मामले में आर्टिकल 342ए की व्याख्या भी शामिल हैं, जो कि सभी राज्यों को प्रभावित करेगा। इसलिए सभी राज्यों को भी सुनना अनिवार्य है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दाखिल की गई है।वहीं रोहतगी ने कहा कि बिना सभी राज्यों के सुने इस मामले में फैसला नहीं किया जाना चाहिए।
महाराष्ट्र सरकार मराठाओं को आरक्षण देने की बात लंबे समय से करते आ रही है। जिसके चलते 2018 में राज्य सरकार ने एक कानून बनाया जिसमें शिक्षा और नौकरी में 16 प्रतिशत आरक्षण देना था। इसके बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा। जहां कोर्ट ने अपने एक फैसले में इसकी सीमा को कम कर दिया था। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।
सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर के अपने एक अंतरिम आदेश में कहा है कि साल 2020-2021 में नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में एडमिशन के दौरान मराठा आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। तीन जजों की बेंच ने इस मामले को विचार के लिए एक बड़ी बेंच के पास भेजा है। कोर्ट ने कहा कि यह बेंच मराठा आरक्षण की वैधता पर विचार करेगी। जिसके बाद अब पांच जजों की पीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही है।