प्रदेश में पहली बार व्यापक कौशल जनगणना की तैयारी, युवाओं के रोजगार और प्रशिक्षण पर बनेगा वैज्ञानिक डेटा बेस

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उत्तराखंड में पहली बार व्यापक कौशल जनगणना (Skill Census) आयोजित की जाएगी। इस पहल का उद्देश्य युवाओं की योग्यता, प्रशिक्षण आवश्यकताओं और रोजगार संभावनाओं को वैज्ञानिक आधार पर समझना है। राज्य सरकार की ओर से गठित विशेष समिति ने इसके लिए औपचारिक तैयारियां शुरू कर दी हैं।

अधिकारियों का कहना है कि यह सर्वे प्रदेश में रोजगार नीतियों को व्यवहारिक स्तर पर लागू करने और उद्योगों की जरूरतों के अनुरूप कुशल मानव संसाधन तैयार करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।

कौशल विकास विभाग के अनुसार, जनगणना प्रदेश के हर जिले, ब्लॉक और गांव तक पहुंचेगी। एकत्र की गई जानकारी को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर दर्ज किया जाएगा, जिससे डेटा विश्लेषण तेज़ी से हो सके और रोजगार योजनाओं के वास्तविक लाभार्थियों की पहचान आसानी से की जा सके।

वर्तमान में कई उद्योगों को प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी का सामना करना पड़ता है, जबकि बड़ी संख्या में युवा रोजगार अवसरों से वंचित हैं। यह कौशल जनगणना इस अंतर को पाटने की दिशा में मील का पत्थर मानी जा रही है। इसके माध्यम से प्रदेश का एक “कौशल मानचित्र (Skill Map)” तैयार किया जाएगा, जिसके आधार पर क्षेत्रवार प्रशिक्षण कार्यक्रम और रोजगार आधारित नीतियाँ बनाई जाएंगी।

इस योजना के तहत शिक्षण संस्थानों, औद्योगिक संगठनों, तकनीकी प्रशिक्षण केंद्रों और स्थानीय निकायों को भी जोड़ा गया है। युवाओं की शैक्षणिक योग्यता, अनुभव, रुचि और मौजूदा कौशल जैसी जानकारियों को इस सर्वे में शामिल किया जाएगा।

सर्वे पूरा होने के बाद राज्य सरकार रोजगार आधारित परियोजनाओं और निवेश पहलों को बढ़ावा देगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल न केवल प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सशक्त करेगी, बल्कि युवाओं को उनके कौशल के अनुरूप स्थानीय स्तर पर रोजगार दिलाने में भी मददगार होगी।

सरकार को उम्मीद है कि कौशल जनगणना के माध्यम से रोजगार को मांग आधारित और क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जा सकेगा, जिससे पलायन पर भी रोक लगेगी और राज्य आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मजबूत कदम बढ़ा सकेगा।