ऑपरेशन कावेरी के तहत सूडान में फंसे भारतीयों का पहला जत्था रवाना

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सूडान में सेना और अर्द्धसैनिक समूह के बीच सत्ता हासिल करने के लिए भीषण संघर्ष जारी है. इस जंग में अब तक 400 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

संघर्षग्रस्त सूडान से फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए केंद्र सरकार ने ‘ऑपरेशन कावेरी’ शुरू किया है। सीजफायर लागू होने के बाद भारत ने इस अफ्रीकी देश में फंसे अपने लोगों का रेस्क्यू अभियान शुरू कर दिया है। इस अभियान के तहत भारतीयों का पहला जत्था पोर्ट सूडान से निकल चुका है।

हिंसाग्रस्त सूडान में 72 घंटे के सीजफायर के बाद भारतीयों की निकासी का अभियान शुरू हो गया है। भारत वहां से भारतीयों की निकासी के लिए ऑपरेशन कावेरी चला रहा है। इस अभियान के तहत सूडान में फंसे भारतीयों का पहला जत्था सूडान से रवाना हुआ। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इसके बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन कावेरी के तहत आईएनएस सुमेधा 278 लोगों को लेकर पोर्ट सूडान से जेद्दा के लिए रवाना हो गया है।

इससे पहले, हिंसाग्रस्त दक्षिण अफ्रीकी देश सूडान के दोनों जनरल 72 घंटे के सीजफायर के लिए सहमत हुए थे। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इस बारे में जानकारी दी। करीब 10 दिनों की लड़ाई, सैंकड़ों मौतों और बड़ी संख्या में विदेशी लोगों के पलायन के बाद यह सीजफायर होने जा रहा है। इससे पहले भी दोनों पक्षों में सीजफायर कराने की कोशिश की गई थी लेकिन वह नाकाम रहीं। ब्लिंकन ने एलान करते हुए कहा कि ‘बीते 48 घंटे की सघन बातचीत के बाद सूडान आर्म्ड फोर्सेस और रैपिड सपोर्ट फोर्सेस राष्ट्रव्यापी सीजफायर करने के लिए रजामंद हो गई हैं। यह सीजफायर 24 अप्रैल की आधी रात से शुरू होकर अगले 72 घंटे तक चलेगा।’

कल निकाले गए थे पांच भारतीय

इससे पहले, सोमवार को फ्रांसीसी वायु सेना की उड़ान के जरिए पांच भारतीय नागरिकों को सूडान से बाहर निकाला गया था। फ्रांस के राजनयिक सूत्र ने इसके बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि तीन उड़ानों के जरिए करीबन 500 लोगों को जिबूती में फ्रांस के सैन्य अड्डे पर लाया गया है। इन लोगों में भारतीय के साथ ही 28 से अधिक अन्य राष्ट्रीयताओं के लोग शामिल हैं।

देश में हिंसा, तनाव और असुरक्षित हवाईअड्डों के कारण विदेशी नागरिकों को निकालना मुश्किल हो रहा है। इस बीच अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (RSF) राजधानी खार्तूम में मुख्य अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रहा है। फंसे हुए विदेशी नागरिकों में लगभग 3,000 भारतीय हैं। वहीं, केरल के 48 वर्षीय अल्बर्ट ऑगस्टाइन की गोली लगने से मौत हो चुकी है।

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी के अनुसार, सूडान में हुई हिंसा में अभी तक 427 लोगों की मौत हुई है और 3700 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। मरने वालों में खार्तूम में मौजूद मिस्त्र के दूतावास के एक अधिकारी भी शामिल हैं, जो अपने कार्यालय से घर लौटते समय हिंसा की चपेट में आ गए। अभी तक सूडान से विभिन्न देशों के 4 हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला जा सका है। वहीं सूडान के निवासी भी बड़ी संख्या में चाड, इजिप्ट और दक्षिण सूडान पलायन कर गए हैं। लोगों को पानी, खाने और दवाईयों की कमी का सामना करना पड़ रहा है।

पीएम मोदी ने की थी समीक्षा बैठक 

बता दें कि शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृह युद्ध प्रभावित सूडान में फंसे भारतीयों की सुरक्षा की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई थी। बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी हिस्सा लिया और सूडान के मौजूदा हालात के बारे में पीएम को अवगत कराया था।

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सूडान में जारी हिंसा की ये है वजह

हालिया हिंसक घटनाओं की जड़ें तीन साल पहले हुआ तख्तापलट से जुड़ी हैं। दरअसल, अप्रैल 2019 में एक विद्रोह के बीच सैन्य जनरलों द्वारा लंबे समय से शासन कर रहे निरंकुश शासक उमर अल-बशीर को सत्ता से बेदखल कर दिया था। तब से सेना एक संप्रभु परिषद के माध्यम से देश चला रही है। सेना और आरएसएफ प्रतिद्वंद्विता राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के शासन के समय से चली आ रही है। ताजा झड़प की वजह ये है कि सूडान की सेना का मानना है कि आरएसएफ, अर्द्धसैनिकल बल के तहत आती है और उसे सेना में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।